झांसी । मानवता की सेवा में मिसाल बन चुके उत्तर प्रदेश के सिपाही जितेंद्र यादव की कार्यशैली हर रोज लोगों को उनके बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देती है। लोगों के जेहन में उनकी कार्यशैली के बाद कई सवाल उठते हैं।
मसलनइस पुलिस वाले का दिल आखिर गरीबों के लिए क्यों धड़कता है ? उनकी सहजता से कितने लोग प्रेरणा ले रहे हैं और क्या जितेंद्र की तरह बिना शोर शराबे के मानव सेवा करने का उदाहरण दूसरे लोग भी पेश करेंगे?
अजब है बुंदेली माटी और गजब है यहां के शख्सियतों का हुनर। माटी की खुशबू शख्सियतों के विचारों में सस्ता और समर्पण को अपने ही अंदाज से बयां कर आती है इस बार भी को देखने के लिए झांसी में तैनात सिपाही जितेंद्र यादव आप की रैली प्रेरणा की सबसे बड़े उदाहरण हैं।
यू तो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और स्वार्थ की बढ़ रही लालसा में इंसान मानव सेवा से कोसों दूर हो चुका है, जो लोग मानव सेवा के लिए दिखावटी जामा पहनते हुए करते हैं, वह करने के बाद उस दिशा में पलट कर भी नहीं देखते जहां उन्होंने सेवा को जारी रखने का संकल्प लिया था।
जितेंद्र यादव इन सब से उलट सेवा उस गरीब और जरूरत भरी जिंदगी की राह में खुशियां बिखेरने का काम करते हैं, जिसे लाचारी और बेबसी के साथ दुर्भाग्य का लबादा ओड़ते हुए बदहाल अवस्था में रहना पड़ता है
यह सिपाही इन दिनों सर्द रात में अपने साथियों के साथ फुटपाथ स्टेशन बस स्टैंड गरीब बस्तियों और झुग्गी झोपड़ियों में ही नहीं वल्कि सड़क पर घूम रहे गरीब लाचार और बसों को ढूंढता है । जैसे ही कोई बेबस लाचार और गरीब जितेंद्र यादव और उनके साथियों की नजरों में आता उनकी निगाहें सेवा भाव से ऐसी चमक उठती जैसे मानो उन्हें कोहिनूर मिल गया हो ।
वह पूरी तन्मयता और शिद्दत के साथ नारायण कहे जाने वाले नर को राहत प्रदान करने का काम करते हैं, जिसे समाज शायद नहीं देख पाता है।
जितेंद्र और उनके साथियों को सर्द रात में ऐसे कई गरीब लाचार बेबस असहाय लोगों को ढूंढने और उनकी सेवा करने में बहुत आनंद मिलता है । वो कहते हैं कि सेवा के लिए समर्पण चाहिए कोई स्वार्थ नहीं।
जितेंद्र की निस्वार्थ कर्म शैली के कई लोग प्रशंसक भी हैं इनमें उनकी एक प्रशंसक अमित यादव लिखते हैं- सच्चे अर्थों में सेंटाक्लाज है जितेंद्र यादव ।
ठिठुरती ठंड में रात को अपनी टीम के साथ ढूंढ ढूंढ कर गरीब और असहायों को कम्बल उढ़ा कर महान मानवीयता का कार्य उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनात जितेन्द्र यादव करते हैं यथा सम्भव अत्यन्त गरीब व बेसहारा बच्चों को भी कपड़े, खाने-पीने की वस्तुएं एवं शिक्षा देने का भी कार्य “उम्मीद की रोशनी” संस्था के अंतर्गत करते हैं। उम्मीद की रोशनी का प्रत्येक कार्यकर्ता सच्चे अर्थों में सेंटाक्लाज की भूमिका निभाता है। ऐसे सभी नवयुवक जो असहायों की सहायता कर मानवता की मिशाल बने हुए हैं उन सभी के लिये हृदय से आभार एवं उन सभी को मेरा नमस्कार !!!
अमित यादव