झांसीः उप्र व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी को आज उनकी शादी की सालगिरह पर जोरदार झटका लगा। उनके संगठन की महिला पदाधिकारियो ने उप्र उद्योग व्यापार मंडल के खेमे मे पहुंचकर सनसनी फैला दी। झटका खाये संजय पटवारी को समझ मे नहीं आ रहा कि क्या करे? यहां संजय के संगठन मे पकड़ और उनके गिरते ग्राफ को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।
गौरतलब है कि निकाय चुनाव मे राजनैतिक आजादी के नाम पर छिन्न-भिन्न हुये उप्र व्यापार मंडल के कई पदाधिकारियो ने अलग-अलग राजनैतिक दलो को समर्थन देकर व्यापार मंडल की साख को दांव पर लगा दिया था।
अपनी जुगाडु नीति और स्वयंभू नेता की छवि के सहारे उप्र व्यापार मंडल का संचालित कर रहे संजय पटवारी की बीते कुछ दिनो मे साख गिरती जा रही है। हालत यह हो गयी कि जय बुन्देलखण्ड व्यापार मंडल के जिन पदाधिकारियो को तोड़ कर संजय ने विजय जैन को झटका दिया था, वो पिछले कई महीनो से संजय के पास नहीं जा रहे हैं।
संजय पटवारी द्वारा नियुक्त किये गये प्रदेश मंत्री शैलेष भाटिया को वो बार-बार फोन लगाकर बुलाने पर मजबूर है, लेकिन शैलेष समय नहीं निकाल पा रहे। ऐसे मे सवाल उठ रहा है कि संजय ने आखिर शैलेष को पहले विश्वास मे क्यो नहीं लिया?
शैलेष के बारे मे कहा जाता है कि वो व्यापरिक राजनीति के चाणक्य हैं। उन्हांेने शुरूआती दौर मे संजय पटवारी को व्यापारी राजनीति मे स्थापित करने मे अहम भूमिका निभायी। इसके अलावा संजय के संगठन मे कभी खास रहे विजय जैन से भी उनके संबंध सही नहीं रह पाये। आरोप लगता रहा कि संजय पटवारी वन मैनशो की तरह संगठन को चलाते हैं।
संजय पटवारी पर आरोप लगते है कि मीडिया को भी गिरी नजरो से देखते हैं। गुमान मे चूर संजय पटवारी को चंद सालो मे मिली सफलता ने आसमान मे उड़ने वाला बना दिया।
अब जब उनके संगठन के लोगो को हकीकत समझ मे आयी, तो एक-एक करके लोग उन्हंे छोड़कर जाने लगे।
उप्र व्यापार मंडल मे व्यापारी वर्ग का साथ नहीं मिलने से हैरान परेशान संजय पटवारी ने बीते कुछ दिनो मे महिला व्यापार मंडल का गठन किया। मकसद यह रहा कि महिलाओ के सहारे व्यापारी राजनीति को चमकाये रखा जाए। कहते है कि नीति और नियत ही सफलता की असली कुंजी होती है।
महिला राजनीति मे संजय पटवारी ने कंचन आहूजा जैसी शख्सियत को सामने लाकर सभी को चैंका दिया था। कंचन आहूजा महिला संगठन को ना केवल शिखर पर ले गये बल्कि उन्हांेने व्यापार मंडल मे कई महिलाओ को जोड़ा।
जानकार बताते है कि बीते कुछ दिनो से संजय और कंचन आहूजा के बीच मतभेद काफी बढ़ गये। संजय का दूसरी महिला पदाधिकारियो को संगठन मे अधिक महत्व देने के चलते संबंध की खाई गहरी होती गयी।
इस बीच निकाय चुनाव मे संजय पटवारी खेमे द्वारा उठाये गये कदम से संगठन के कई लोग नाराज हो गये। इसकी परिणति सामने आने लगी। आज उप्र व्यापार मंडल की जिलाध्यक्ष रही कंचन आहूजा ने उप्र उद्योग व्यापार मंडल को ज्वाइन कर लिया। यह उप्र व्यापार मंडल के लिये बड़ा झटका माना जा रहा है।
जानकार मान रहे है कि संजय के तानाशाही रवैये और एकला चलो नीति के चलते आने वाले दिनो मे उप्र व्यापार मंडल मे कई फाड़ होने की संभावना है। कुछ पदाधिकारियो ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि संजय पटवारी का बड़े लोगो से जुड़ाव के नाम पर संगठन चलाना सदस्यो को रास नहीं आ रहा। इसके अलावा व्यापारी हित को लेकर सही कदम ना उठाना भी सदस्यो के समझ से परे है।
बरहाल, शादी की सालगिरह के मौके पर लगे इस झटके ने संजय को यह संदेश तो दे ही दिया कि सही नीति और नीयत ही सफलता दिलाती है। गुमान किसी को ज्यादा दिन नहीं टिकने देता?