झांसीः बुन्देलखण्ड की लड़कियां खेत जोतने पर मजबूर, उमा भारती कहां हैं?

झांसीः यह बुन्देलखण्ड का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां माटी सोना नहीं उगल पा रही। कारण साफ है कि माननीयो  ने पिछले कई सालो  मे भागीरथी प्रयास नहीं किये, जो जमीन गहराई तक पानी सोख लेती। वर्तमान मे महिला सांसद और केन्द्रीय मंत्री के लिये यह खबर दर्दनाक होगी कि बुन्देलखण्ड  की लड़कियां खेत मे बैल बनकर जमीन जोत रही है। यह तस्वीर आपको भी विचलित कर सकती है।

वैसे तो बुन्देली धरा किसी मामले मे कमजोर नहीं, लेकिन राजनैतिक हालातो  ने इसके और इसमे जन्मे लोगो  को बहुत कमजोर बना दिया है। रिपोर्ट बताती है कि बुन्देलखण्ड के गरीबी के हालात ने आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी है।

पानी से लेकर रोजगार की तलाश मे महानगरो  को जा रही बुन्देली जनता को रोकने वाला कोई नहीं। सांसद भले की दावा करे कि वो विकास की गंगा को जमीन पर ला रही है,लेकिन जो तस्वीर सामने आ रही है, उससे साफ है कि उमा भारती को इसका इल्म ही नहीं है कि बुन्देलखण्ड का किसान किस तरह से दो जून की रोटी के लिये जददोजहद कर रहा है।

ताजा मामला मऊरानीपुर विधानसभा में बड़ागांव इलाke  है। जहां किसान अच्छे लाल खेत में हल चला रहा था। उस हल को कोई बैल नहीं बल्कि उसकी दोनों बेटियां खींच रही हैं। किसान अच्छे लाल का कहना है कि उसकी छह बेटियां है। किसी प्रकार उसने अपनी चार बेटियों की शादी कर ली थी। दो बेटियों की अभी शादी होनी बाकी है। पिछले कई सालों से बारिश न होने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई। वह अपनी बेटियों के साथ खेत में इसलिए हल चला रहा है कि इन्द्र भगवान को उस पर रहम आ जाये और बारिश हो। बारिश हागी तो फसल भी अच्छी होगी और जब फसल अच्छी होगी तो उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर जायेगी।

बैलो की तरह खेत को खींच रही लड़कियां रवीना और शिवानी का कहना है कि वह अपने पिता के साथ खेत में हल इसलिए खींच रही है कि भगवान को उन पर तरस आ जाये और बारिश हो जाये।

कुदरत की मार झेल रहे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ किस प्रकार मिल रहा है। इसकी बानगी झांसी की मऊरानीपुर विधानसभा में नजर आई। जहां एक दो लड़कियां अपने पिता के साथ हल चला रही हैं। यदि सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा होता तो ऐसा नही होता।

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