झांसीः आज अचानक एक नाटकीय घटनाक्रम ने झांसी की राजनैतिक परिस्थितियो को चिंतन के दौर मे खड़ा कर दिया। पिछले कई दिन से फरार चल रहे पूर्व ब्लाक प्रमुख लेखराज ने गरौठा मे जिस तहर से आत्मसमर्पण किया और एनकाउंटर की आशंका व्यक्त की, उससे इतर सवाल यह उठ रहा कि लेखराज का आत्मसमर्पण क्या उमा भारती के झांसी प्रवास से जुड़ा है?
पूर्व ब्लाक प्रमुख लेखराज और मउ के पूर्व थाना प्रभारी के बीच हुयी बातचीत का आडियो वायरल होने के बाद यह प्रकरण काफी गर्मा गया था। प्रशासन ने शासन तक पहुंचे मामले की जानकारी के बाद थाना प्रभारी को सस्पेड कर दिया था।
बात यही नहीं रूकी। बीते दिनो उमा भारती ने लेखराज प्रकरण मे जिस तरह से बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा और जिलाध्यक्ष संजय दुबे की जान को खतरा बताया, उससे सवाल खड़े हो गये।
आखिर इन दोनो को लेखराज से क्यो खतरा है? दूसरा जिस सभासद प्रदीप गुप्ता से सीधा टकराव है, उसको लेकर उमा भारती ने कुछ नहीं बोला। प्रदीप गुप्ता ने बीते दिनो इस मामले को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के समक्ष भी उठाया।
कहते है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस। यहां तो हालात यह है कि कल झांसी मे प्रदेश और केन्द्र के मंत्रियो का डेरा रहा। उमा भारती अब जैसे झांसी मे प्रवास करने का मन बना चुकी है।
सो, जानकार मान रहे है कि उमा भारती अपने चुनावी समीकरण बनाने से पहले लेखराज प्रकरण को निपटाना चाहती है।
यहां सवाल यह उठ रहा है कि इस प्रकरण मे किसको किससे खतरा है? लेखराज से उमा और राजीव से क्या खतरा है? लेखराज को उमा, राजीव, संजय दुबे से क्या खतरा है?
खतरे को लेकर जानकार मान रहे है कि असल वजह कुछ और है। मउ और रानीपुर मे लेखराज का काफी दबदबा माना जाता है। आने वाले चुनाव मे राजनैतिक जमीन तैयार करने के लिये लेखराज को कमजोर करना एक मजबूरी हो सकती है। इस बात को सपा के लोग भी मानते है।
सपा नेता कहते है कि लेखराज को जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है। अपने राजनैतिक हित साधने के लिये बीजेपी वाले कुछ भी कर सकते हैं।