झांसीः झांसी में समस्याएं पैदा होने से पहले उनके निदान को लेकर ना तो सरकारी मशीनरी सोच पाती और वो जिम्मेदार संगठन, जो अपने आप को व्यापारी और समाज को सुधारने का दावा करते हैं।
बात हो रही है, नगर मे व्याप्त अतिक्रमण की। यह सच है कि बीते कुछ सालो मे नगर के मुख्य बाजार अतिक्रमण की चपेट मे आ गये हैं।
क्या कभी किसी ने इस बात पर गौर किया कि यह समस्या कैसे बनी? तो आपको बता दे कि बाजार की रौनक मे अतिक्रमण का दाग ऐसे ही नहीं लग रहा। इसके लिये काफी हद तक दुकानदार भी जिम्मेदार हैं।
बाजार के अधिकांश दुकानदार चाहे वो छोटे हो या बड़े। अपनी पैर पसारने की नीयत से बाज नहीं आते। पूर्व मे मेयर रही किरन वर्मा ने जब बाजार के अतिक्रमण हटाने की पहल की, तब यह कहा गया था कि दुकानदार अपनी दुकान का सामान फुटपाथ पर नहीं रखेगे। इसके लिये बाजार मे हद बनाने को लेकर चूना डाला गया। इतना ही नहीं दुकानो के आगे निकले टीन शेड आदि निकाल दिये गये।
झांसीराइटस किसी भी व्यवस्था को चंद दिनो तक ही कायम रख पाते है। आगे व्यवस्था नहंी चलने के पीछे मुख्य कारण यह भी है कि नगर मे जितने भी व्यापारी संगठन है, वो व्यापारियो को अपने पाले मे करने के लिये उनके रहनुमा बन जाते है, लेकिन जब प्रशासन के सामने पहुंचते, तो उनका कद बौना हो जाता। इस बात का फायद प्रशासन को भरपूर मिल जाता। प्रशासन व्यवस्थ के पटरी से उतरने के बाद उसे वापस लाने मे जबरदस्त लापरवाही दिखाता, जैसे मानिक चैक मे व्यवस्था बनाने के नाम पर बीते दो दिन से सिटी मजिस्टेट समय नहीं निकाल पा रहे।
यदि नगर के बाजार अतिक्रमण मुक्त करने हैं, तो इसमे प्रशासन के दखल से पहले व्यापारी संगठनो को पहल करनी होगी। क्यांेकि प्रशासन की सख्ती से कुछ दिनो के लिये अतिक्रमण तो हट जाएगा, लेकिन चंद दिनो बाद स्थिति जस की तस हो जाएगी।
यहां जरूरी यह है कि मानिक चैक, बड़ा बाजार, सरार्फा बाजार, सिंधी तिराहा, नरिया बाजार, सुभाष गंज, मालिनो का तिराहा आदि स्थानांे पर दुकानदार और व्यापारी संगठन मिलकर तय कर ले कि कोई भी दुकानदार फुटपाथ पर कब्जा नहीं करेगा।
इसके अलावा बाजार मे अवैध तरीके से खड़े होने वाले हाथ ठेले नहीं लगेगे। यकीन मानिये बाजार मे अतिक्रमण अस्सी फीसदी से अधिक अपने आप समाप्त हो जाएगा।
इसके लिये उन व्यापारी संगठनो को सोचना होगा, जो केवल अपना नाम चलाने के लिये अखबारो की सुर्खियां बने रहते हैं। व्यापारी हित और नगर हित उन्हे नजर नहीं आता! इसमे उप्र उद्योग व्यापार मंडल, उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल, उप्र व्यापार मंडल सहित अन्य व्यापारी संगठनो के लोगो को दृढ़ता दिखानी होगी।
वर्ना प्रशासन बैठक करेगा, सुझाव आएंगे। अपील होगी। नहीं मानने पर कुछ दिन के लिये अतिक्रमण जमीदोज किया जाएगा। चंद दिनो बाद फिर से व्यापारी चिल्लाएंगे कि अतिक्रमण ने बाजार को खा लिया!