झांसीः कल तक ना नुकुर कर रही स्थानीय सांसद और कैबिनेट मंत्री उमा भारती आज कल सड़क पर झाडू लगाती नजर आ रही है। वो बुन्देलखण्ड का राग भी छेड़ने लगी है। ऐसा अचानक कैसे हो गया? इसके पीछे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का वो फरमान है, जिसे सुनकर उमा भारती को मजबूरी मे झांसी का रास्ता चुनना पड़ा?
सन 2014 के लोकसभा चुनाव मे मोदी लहर पर सवार हुयी उमा भारती ने नारा दिया था कि काशी से मोदी, झांसी से उमा। इसके बाद उमा भारती ने बुन्देली जनता की दुःखती रग पर हाथ रखा। उमा ने सरकार बनने के तीन साल के भीतर बुन्देलखण्ड राज्य बनाने का वादा कर दिया।
जैसा आज तक होता रहा है, चुनाव जीतने के बाद उमा भी अन्य जनप्रतिनिधियो की तरह झांसी-ललितपुर को अपने प्रतिनिधि के हवाले कर दिल्ली की हो गयी। मोदी सरकार दौड़ती रही और उमा भारती गंगा के नाम पर दिल्ली से झांसी की दूरी तय नहीं कर पायी।
मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर भाजपा अध्यक्ष ने तैयारियां शुरू की, तो उन्होने साफ कर दिया कि सभी सांसद अपने-अपने क्षेत्र मे तैयारी करे। उमा ने दूसरा क्षेत्र चुनने का इरादा बताया।जानकार बताते है कि शाह ने साफ कर दिया कि आपका क्षेत्र नहीं बदला जाएगा।
जानकार बताते है कि शाह के तेवर काफी सख्त थे। वो किसी भी कीमत पर उमा को दूसरा क्षेत्र देना नहीं चाहते थे। कहा तो यह जा रहा है कि शाह ने दूसरा क्षेत्र के बदले चुनाव ना लड़ने की सलाह दे डाली?
बस, फिर क्या था। उमा भारती का दूसरा क्षेत्र चुनने का इरादा काफूर हो गया। 2019 के चुनाव से पहले उन्होने अपने को क्षेत्र मे स्थापित करने के लिये कारीडोर जैसी सौगात देने के बाद बुन्देलखण्ड के मुददे को अपने तरीके से घुमाना शुरू कर दिया।
अब वो प्यार से लोगो से मिलकर नाराजगी दूर करने की रणनीति पर काम कर रही है। सड़क पर झाडू लगाने की तैयारी भी है। उमा के बारे मे कहा जाता है कि वो गुस्से के बाद प्यार जताते हुये डैमेज कंटोल करने की पूरी कोशिश करती है, देखना है कि क्या बुन्देली उनके प्यार पर एतबार करते है या…!