झांसीः नगर निगम मे आज कार्यकारिणी सदस्यो के चयन की चकाचैंध के पीछे घिरी राजनैतिक रणनीति ने साबित कर दिया कि सत्ता के सहारे कैसे समीकरण बैठाये जाते हैं। इसमे अपनी छवि के अनरूप सभासद सुशीला दुबे का चैंकाने वाला फैसला हर किसी को परेशान किये है। चर्चा जन्म लेकर सवालो के साथ आरोप और संभावनाओ के शब्द बनकर बह रही है।
आपको बता दे कि आज नगर निगम मे कार्यकारिणी सदस्यो का चुनाव होना था। सत्ता और विपक्ष के बीच शुरूआती दौर की रणनीति ने यह साफ कर दिया कि खेमे मे सत्ता पक्ष ही हावी रहेगा।
बुधवार को नगर निगम की पहली कार्यकारिणी सदस्य का निर्वाचन हुआ। सभी दलों के पार्षद व नेता अपनी रणनीति तैयार करते रहे। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपने अधिकतम सदस्य जिताने की रणनीति भी बनाई, मगर निर्दलीय और बसपा ने उनका खेल बिगाड़ दिया और सात सदस्य जिताने की मंशा धरी रह गई। मालूम हो कि सदन में भाजपा के 21, बसपा के 11, कांग्रेस 6, सपा व कांग्रेस के 2-2 एवं निर्दलीय 18 पार्षद हैं। ऐसे में भाजपा अपने संख्या बल के आधार पर उप सभापति की कुर्सी के लिए अभी से क्लीन स्वीप करने की तैयारी में थी। मगर निर्दलीयों व बसपा ने उसका गणित बिगाड़ दिया।
सुबह से भाजपा ने अपने केवल पांच प्रत्याशी ही मैदान में उतारे। इनमें अविनाश यादव, कांति छत्रपाल, दिनेश प्रताप सिंह बुंदेला, लखन कुशवहा व विद्या प्रकाश दुबे का नामांकन कराया गया। इसी प्रकार कांग्रेस से अब्दुल जाबिर व विकास खत्री, बसपा से जुगल किशोर व महेश गौतम एवं निर्दलियों में सुशीला दुबे, रामकुमारी यादव, दिनेश सिंह उर्फ दीपू यादव एवं अनिल सोनी ने नामांकन किया।
अब एक नामांकन अधिक होने से निर्विरोध निर्वाचन में अड़ंगा लग गया। सभी प्रत्याशियों की बैठक हुई और मेयर ने भी मध्यस्थता की। सूत्रों के अनुसार राजनैतिक दबाव व क्षेत्र में अधिक विकास से संबंधित काम दिए जाने एवं पर्दे के पीछे की रणनीति काम आई और निर्दलीय प्रत्याशी सुशीला दुबे नाम वापसी के लिए तैयार हो गई।
इस मान-मनौव्वल में नाम वापसी का समय निकल गया और निर्धारित समय से पंद्रह मिनट देर से वह नाम वापस लेने रिटर्निंग आफीसर के पास पहुंची। इस पर रिटर्निंग ऑफीसर ने आपत्ति जताई। एक बार फिर मेयर और सदन में भाजपा के उप नेता दिनेश प्रताप सिंह बुंदेला ने मोर्चा संभाला। आखिर सुशीला दुबे ने एक बार फिर चुनाव न लडऩे की सहमति जताते हुए रिटर्निंग ऑफीसर से संपर्क किया और उनकी नियमों व प्रावधान के तहत मान ली गई। इस पर प्रकार बिना मतदान कराए ही शेष बचे सभी 12 प्रत्याशियों को कार्यकारिणी सदस्य के लिए निर्वाचित घोषित कर दिया गया।