झांसीः जिस लाचार और बीमार को भगवान कहे जाने वाले चिकित्सको ने दुत्कार कर अस्पताल से भगा दिया, उसका इलाज कराने के लिये पुलिस कर्मी जितेन्द्र यादव आगे आये और उसे मेडिकल कालेज मे दाखिल करा दिया। उम्मीद तो यह थी कि टीबी की बीमारी से ग्रसित यह गरीब जिन्दगी की सांस फिर से थाम लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
बीते रोज उस बीमार ने दम तोड़ दिया। दुनिया के लिये अनजान गरीब बीमार का अंतिम संस्कार कौन करे? क्या उसकी लाश लावारिस के रूप मे नदी मे बहा दी जाए? यह सवाल उस समय उठे, जब मेडिकल कालेज के चिकित्सको ने जितेन्द्र को फोन पर यह सूचना दी कि टीबी का मरीज दुनिया से अलविदा कह गया है।
उम्मीद रोशनी की संस्था चला रहे जितेन्द्र यादव ने उस बीमार को मेडिकल कालेज मे भर्ती कराया था। अनाथ के लिये जितेन्द्र का कंधा हमेशा हाजिर रहता है। जितेन्द्र की जिद ही है कि हर बेसहारा का वो सहारा बनेगे। संस्था ही इसलिये स्थापित की गयी, ताकि हमसे किसी न किसी को उम्मीद बनी रहे। जितेन्द्र ने उस लावारिस व्यक्ति की लाश का अंतिम संस्कार कराया। इस कार्य मे श्रीराम नानू मीट वाले ने आर्थिक मदद की। शमशान मे अग्नि को समर्पित किये गये लावारिस की आत्मा जितेन्द्र के इस प्रयास से मोक्ष को जरूर प्राप्त हुयी होगी।
जितेन्द्र का प्रयास बताता है कि सेवा करो, तो अंतिम समय तक निभाओ। जितेन्द्र के साथ राजेन्द्र राय, वीर सिंह सरदार और उम्मीद रोशनी की संस्था के अनेक सदस्य मौजूद रहे।