झांसी-उप्र व्यापार मंडल का कुनबा खाली, प्रचार का सहारा

झांसीः दूसरे व्यापारिक संगठनो  की धमाकेदार दस्तक ने उप्र व्यापार मंडल का कुनबा खाली कर दिया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पटवारी की गलत नीतियो  ने कुनबा को शून्य की स्थिति मे पहुंचाने का काम किया है। यही कारण है कि दूसरे संगठनो  के सामने टिके रहने के लिये उप्र व्यापार मंडल को प्रचार का सहारा लेना पड़ रहा है। अपील की जा रही कि आओ और संगठन से जुड़कर हमे मजबूत बनाओ।

किसी भी संस्था की तरक्की का राज उसकी नीति और नियम पर टिका होता है। उप्र व्यापार मंडल के गठन के दौरान बनायी गयी ठोस नीतियो  ने अल्प समय मे संगठन को झंासी मे चर्चित कर दिया था।

बात यहां से आगे बढ़ने की थी, लेकिन संगठन के मुखिया संजय पटवारी की नियत तो कुछ और रही। चापलूसी के साथ गुमान को सिर पर ऐसा बैठाया कि दूसरे को तुच्छ समझने मे कसर नहीं छोड़ी।

चमकदार चेहरा बनने की चाहत मे अपनाये गये चापलूसी के फंडा ने तत्काल प्रभाव दिखाया और संजय पटवारी के नाम की ऐसी आंधी चली कि दूसरे संगठन किनारे लग गये।

क्या प्रशासनिक और क्या व्यापारी। सभी ऐसे मुरीद हुये कि हर कोई संजय को दूरदर्शी मानने लगा। दौरान रास्ते कुछ लोगो  से संजय के मतभेद हुये, तो संजय ने उन्हंे दूध मे मक्खी की तरह निकाल फेका। गुमान यह रहा कि उप्र व्यापार मंडल से जुड़ने को लाखो लोग तैयार बैठे हैं।

कहते है कि दुनिया मे सबसे बड़ा बलवान यदि कोई है, तो वो है वक्त। वक्त की करवट मे अच्छे-अच्छे राजे रजवाड़े से लेकर रावण तक का अभिमान धूल मे मिला दिया। इसका एहसास यदि संजय कर लेते, तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ते।

बीते दिनो  उप्र उद्योग व्यापार मंडल ने अपनी जरा सी धमक क्या दिखायी, संजय पटवारी का कुनबा टूटते-टूटते सड़क पर आने की कगार पर पहुंच गया है। जानकार मान रहे है कि उप्र व्यापार मंडल से कई लोगो  ने किनारा कर लिया है। कुछ लोग किनारे ना होते हुये भी दूर हो गये। उनहे संजय पटवारी की असली नीति और नीयत की समझ आ गयी।

बाजार मे अधिकारियो की शह पर खेलने की पहचान मे लिपट चुके संजय पटवारी अब शायद जनाधार खिसकने का एहसास कर रहे हैं। सो, उन्होने संगठन के खजाने का मुंह खोल दिया।

शहर मे बड़ी होर्डिग्स लगायी गयी है। दिन हो या रात, हर पल आपके साथ। उप्र व्यापार मंडल से जुड़े। व्यापारियो  की बुलंद आवाज। उप्र व्यापार मंडल से जुड़े। यहां तक कि सोशल मीडिया के जरिये भी व्यापारियो  को अपने पाले मे  करने की कवायद की जा रही है। व्यापारी इसे संजय पटवारी की हताशा और गुमान की परिणिति मान रहे हैं!

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *