झांसीः बसपा मे शामिल होने के चंद दिनो मे दोबारा कांग्रेस खेमे मे आये पूर्व विधायक बृजेन्द्र व्यास उर्फ डमडम क्या बुन्देलखण्ड मे पूर्व मंत्री प्रदीप जैन आदित्य का विकल्प बनना चाहते हैं? यह सवाल इसलिये उठ रहा है, क्येकि अभी तक बुन्देलखण्ड मे कांग्रेस के पास प्रदीप जैन आदित्य जैस कद वाला कोई दूसरा नेता नहीं है! इसके अलावा एक सवाल यह भी उठ रहा कि क्या अंदरखाने के लोग प्रदीप जैन आदित्य को किनारे लगाने के लिये पर्दे के पीछे से डमडम की कांग्रेस मे वापसी करा रहे हैं? कई सवालो और आशंकाओ के बीच डमडम की कांग्रेस मे दूसरी पारी कितने दिनो तक चलेगी, इस पर सभी की निगाह रहेगी।
आपको बता दे कि कांग्रेस पार्टी को बुन्देलखण्ड मे जनाधार देने मे पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य का बहुत योगदान है। अपने दम पर कांग्रेस का विपरीत हालातो मे भी जिन्दा बनाये रखने की कला जानने वाल प्रदीप जैन पिछले दिनो मेयर के चुनाव मे मैदान मे आये थे। वैसे तो उन्हे लोकसभा सीट का दावेदार माना जाता है, लेकिन पार्टी आदेश के आगे बेबस हुये प्रदीप जैन आदित्य ने मेयर चुनाव मे तीस हजार मत पाकर दिखा दिया था कि उनका जादू अभी कमजोर नहीं है।
यहीं से राजनैतिक सवाल का जन्म होता है। कांग्रेस मे दूसरी कतार मे प्रदीप जैन आदित्य का विकल्प नजर नहीं आता। राहुल राय भले की विधानसभा चुनाव मे प्रत्याशी बने, लेकिन प्रदीप जैन के कंधे ही उन्हे प्रचार मे उछाल देते रहे। अब यह कहा जाने लगा है कि कुछ नाराज कांग्रेसी नेता प्रदीप जैन आदित्य को किनारे लगाने की राजनैतिक चाल को पर्दे के पीछे से अंजाम दे रहे हैं।
सूत्र बताते है कि नसीमउददीन सिददीकि जैसे नेताओ के साथ डमडम की पुरानी दोस्ती है। यह बात कुछ कांग्रेसियो के मन मे है। यह संभावना इसलिये भी बलवती हो रही क्येकि अचानक डमडम का कांग्रेस का दामन थामना, शंका के बादल खड़े करता है।
बरहाल, डमडम का कांग्रेस मे आना कांग्रेसियो के लिये अच्छा नहीं माना जा सकता। जानकार मानते है कि पिछली बार जब वो कांग्रेस मे आये थे, तब भी पार्टी स्तर पर उन्हे स्वीकार नहीं किया गया था।
कांग्रेसी कार्यकर्ता डमडम के बसपा कैडर की सोच को शायद ही स्वीकार कर पाये। वैसे चर्चा यह है कि डमडम ने आने वाले लोकसभा चुनाव के मददेनजर पाला बदलने का काम किया है, लेकिन यहां सवाल यह उठ रहा है कि क्या डमडम कांग्रेस मे बुन्देलखण्ड ही नहीं पूरे देश मे कद बना चुके पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य का विकल्प बनने को बेताब है?