झांसीः कलम, कला और कृपाण की धरती। वीर, ज्ञानी और बुद्विजीवी वर्ग से सरोबार झांसी की माटी मे जानवर धड़ाधड़ काटे जा रहे। धरती रक्तरंजित हो रही। कमाल है! अब किसी को शर्म नहीं आ रही? किसी को राष्टवाद नहीं दिख रहा? किसी का धर्म खतरे मे नहीं है? कहीं भी हिन्दूओ की आस्था पर चोट नहीं हो रही? यह सारे सवाल बीते दिनो झांसी मे खोले गये पशुवधशाला के बाद उठ रहे हैं। कहा गया था कि सिर कटा देगे, लेकिन झांसी मे जानवर नहीं कटने देगे। अब किसी का सिर शर्म से झुकता भी नहीं है।
रानी झांसी जैसी वीर महिला ने झांसी को अपनी कर्मस्थली बनाते हुये राज्यधर्म निभाने के लिये जान न्यौछावर कर दिया था। सिर्फ इसलिये क्यांेकि वो झांसी पर किसी भी कीमत पर अंग्रेजो का राज नहीं चाहती थी।
आजादी मिलने के बाद हम किस जगह आ गये हैं? व्यवसायिक लालच ने दोहरे मापदंड अपनाने को मजबूर कर दिया? राजनेता हो या व्यापारी। दोनो ने बुन्देली माटी को रक्तरंजित होने से बचाने की जरा भी नहीं सोची?
झांसी मे आधुनिक पशुवधशाला का खुलना माटी के लिये कलंक के समान है। जिस धरती पर एकता, भाईचारे की गाथाएं आल्हा उदल के जमाने से गायी जा रही हो, उस धरती को व्यापार के लिये रक्तरंजित किया जा रहा?
वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियो मे गाय को लेकर सभी बेहद संवेदनशील है। यहां सवाल यह उठ रहा है कि जिस गाय को हम माता मानकर उसके लहूलुहान पर होने पर कराह उठते हैं, उसी जानवर को पशुबधशाला मे कटते देख खामोश हैं?
झांसी मे पशुवधशाला खुली कैसे? क्यांेकि स्थानीय सांसद उमा भारती ने साफ कहा था कि हम किसी भी कीमत पर स्लाटर हाउस नहीं खुलने देगे? अब उनके वादे का क्या हुआ? आखिर मे उनके ही मंत्रालय से जुड़े अधिकारियो ने पशुवधशाला की परमीशन दे दी, कैसे?
स्थानीय स्तर पर भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के नेताआंे को भी पशुवधशाला का ध्यान नहीं। किसी को एतराज नहीं। शायद एक वजह यह हो सकती कि प्रदेश सरकार की पशुवधशाला को लेकर विरोध नहीं कर रही, तो विपक्ष क्या करे?
आपको याद होगा कि यूपी मे योगी सरकार बनने के बाद मीट की दुकाने बंद कर दी गयी थी। मानको के पालन के साथ नये लाइसंेस लेने की प्रक्रिया का हवाला दिया गया। कहा गया कि मांस काटने की आड़ मे गाय, भैंस और जानवर के बच्चे काटे जा रहे हैं। यह निणर्य हर किसी को पसंद आया और मीट की दुकानो पर लगी बंदिश का सभी ने स्वागत किया।
अब यही लोग सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। पूछा जा रहा कि आखिर झांसी मे पशुवधशाला खोलने की जरूरत क्या थी? क्यो राम और गाय के नाम की माला जपने वाले भाजपाईयो के सुर विरोध की धारा नहीं बहा पा रहे? क्या उनकी कोई मजबूरी है या फिर…!
बरहाल, स्लाटर हाउस खुलने के बाद आरोपो की बाढ़ सी आ गयी है। कहा जा रहा है कि पांच सौ जानवर काटने की अनुमित के बाद प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा जानवर काटे जा रहे हैं।
वैसे आपको बता दे कि अधिकांश लोगो को यह पता नहीं है कि झांसी मे पशुवधशाला भी खुल गयी है। जिन्हंे पता चला, वो विरोध मे आ गये। भारतीय प्रजाशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पंकज रावत ने कल ही नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर वधशाला के बारे मे पूरी जानकारी मांगी। पंकज का कहना है कि पशुवधशाला को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
रावत ने कहा कि पशुवधशाला का पूरे बुन्देलखण्ड मे विरोध किया जा रहा है। जल्द ही सड़क पर आंदोलन करेगे।