झांसी: लक्ष्मी तालाब के निकट बनी एक कालोनी की कुछ जमीन लक्ष्मीतालाब की बतायी गयी थी। नगर निगम द्वारा किये गये सर्वे मे यह बात सामने आयी थी। पैमाइश मे तालाब की भूमि पर बने पांच मकान तालाब की जद मे पाये गये थे। इनके मालिको को नोटिस दिये गये थे, लेकिन आज तक यह पता नहीं चल सका कि विभाग ने क्या किया?
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालो मे नगर मे जमीन का कारोबार करने वालो ने सरकारी जमीन को ऐसा कब्जे मे लिया कि वह रातो रात करोड़पति ही नहीं बने, बल्कि उन्होने नगर मे कई पॅश कालोनियां विकसित कर दी। यहां तक कि करगुवांजी मे तो चिकित्सको के आलीषान मकान तक बन गये।
पूर्व कमिश्नर की सख्ती के बाद जब निगम प्रशसन जागा तो पता चला कि हर कोने मंे उसकी जमीन अतिक्रमणकारियो के कब्जे मे हैं। सबसे बुरा हाल तो लक्ष्मी तालाब का है। तालाब की भूमि पर लोगो ने पक्के मकान बना लिये हैं। पिछले दिनो लक्ष्मीतालाब, आठखंभा की पहाड़ियो का निगम की टीम ने सर्वे किया था।
निगम के संपति अधिकारी व अधिकारियो की टीम ने तालाब के 83 एकड़ फैलाब की जांच की थी। इस दौरान पाॅष कालोनी मे भी जरीब लगायी गयी थी। अधिकारियो को आशंका थी कि उक्त कालोनी मे तालाब की काफी जमीन को दबाया गया है। निगम के इस सर्वे कार्य से कालोनी मे लाख रूप्ये खर्च कर मकान खरीदने वालो के होश उड़ गये थे।
उन्हे इस बात का डर सताता रहा कि यदि कालोनी की जमीन तालाब की निकली तो क्या होगा? वहीं जेडीए की टीम ने करगुवांजी व पिछोर मे रहने वाले लोगो के काजगाज की जांच की थी।
सूत्र का कहना है कि करगुवांजी मे बने अधिकांश चिकित्सको के मकान पहाड़ी क्षेत्र की जमीन पर बने हुये हैं। इस बारे मे कई चिकित्सको को नोटिस भी जारी किये गये। अब तक नोटिस के बारे मे जानकारी नहीं होने से मामला गर्म नहीं था, लेकिन चिकित्सक इस मामले का तोड़ निकालने की फिराक मे थे।
उन्होने तो अपना काम कर लिया और यही ंकारण है कि जेडीए के अधिकारी शात होकर बैठ गये। सवाल यह है कि क्या सरकारी जमीन पर पैसा फेकने वालो के लिये नियम पैसो के सहारे चलते हैं?