झांसीः पूर्व विधायक बृजेन्द्र व्यास उर्फ डमडम ने एक बार फिर बसपा का दामन छोड़ दिया। सियासी चाल मे अपने कद की नाप का फीता लेकर दलो के चक्कर लगा रहे डमडम के इस कदम ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। दूसरे के कंधे से अपनी राजनैतिक पारी को आगे बढ़ाने की उनकी नीयत उजागर होने के बाद कहा जाने लगा है कि डमडम अपना वजूद खोने की कगार पर पहुंच रहे हैं।
आपको बता दे कि जनपद झांसी के गरौठा विधानसभा से पूर्व मे विधायक रहे बृजेन्द्र व्यास उर्फ डमडम महाराज राजनैतिक सफर मे सफलता पाने को पिछले कई सालो से बेताब है।
बसपा, कांग्रेस और फिर कांग्रेस के राजनैतिक सफर ने यह तो तय कर दिया कि डमडम केवल राजनीति को अपने राजनैतिक कद के लिये प्रयोग कर रहे हैं। जनता के बाद लोकप्रियता की तलाश मे वो पार्टी सिंबल से मिलने वाली उम्मीद के पंख लेकर राजनैतिक उड़ान भर रहे हैं। इन परिस्थितियो ने डमडम के राजनैतिक वजूद पर ही संकट खड़ा कर दिया है।
जानकार मान रहे है कि डमडम की पिछले दिमो नसीमउददीन सिददीकि से काफी नजदीकियां बढ़ गयी थी। बसपा मे नंबर दो के नेता रहे नसीमउददीन भी कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं।
ऐसे मे नसीम ने बुन्देलखण्ड मे राजनैतिक कद पाने के लिये डमडम जैसे चेहरे को अपने साथ लेकर एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। कांग्रेस मे आने के बाद डमडम जैसे चेहरे देकर उन्होने अपने कद को काफी मजबूत कर लिया। इसके अलावा डमडम को भरोसा दिला दिया कि आने वाले चुनाव मे उनका टिकट पक्का समझो।
डमडम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल यूं ही नहीं उठ रहे। पिछले दिनो बसपा से मेयर का चुनाव लड़े डमडम काफी बढ़त के साथ जीत की ओर बढ़े थे। बाद मे अचानक डाउन हुये। डमडम के हारने को लेकर पार्टी स्तर पर कई सवाल खड़े हुये। सबसे ज्यादा उनकी खामोशी सवालो के घेरे मे रही। उस दौरान बसपा से जुड़े लोग मान रहे थे कि डमडम आने वाले दिनो मे कोई राजनैतिक चाल चलेगे। शायद इसीलिये बसपाई उन्हे पचा नहीं पा रहे थे।
बरहाल, डमडम का कांग्रेस मे आना कांग्रेसियो के लिये अच्छा नहीं माना जा सकता। जानकार मानते है कि पिछली बार जब वो कांग्रेस मे आये थे, तब भी पार्टी स्तर पर उन्हे स्वीकार नहीं किया गया था।
कांग्रेसी कार्यकर्ता डमडम के बसपा कैडर की सोच को शायद ही स्वीकार कर पाये। वैसे चर्चा यह है कि डमडम ने आने वाले लोकसभा चुनाव के मददेनजर पाला बदलने का काम किया है, लेकिन यहां सवाल यह उठ रहा है कि क्या डमडम कांग्रेस मे बुन्देलखण्ड ही नहीं पूरे देश मे कद बना चुके पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य का विकल्प बनने को बेताब है?