झांसीः बुन्देली माटी का पानी सूखा नहीं है। पानी यदि सूखा है, तो हमारे जनप्रतिनिधियो की आंख का। सालो से पानी की कमी की समस्या से जूझ रहे बुन्देलखण्ड मे गर्मी पानी को लेकर सवाल उठाती है, लेकिन समाधान आज तक नहीं हो सका। अब हालात यह हो गये कि सरकारी कर्मी कार्यालय मे पानी को ताले मे कैद करके रखने लगे हैं।
कुदरत के रडार पर रहने वाली बुन्देली माटी अपनी कोख से वो सब उपजाती है, जिसे देश और समाज को जरूरत है। कलम, कला और कृपाण की धरती ने अब तक अनेक वीर सपूत, चिंतक, समाजसेवी और ना जाने कितनी हस्तियो को जन्म दिया है।
दुर्भाग्य यह है कि माटी की किस्मत मे आज भी संघर्ष और राह जोहना लिखा है। माटी की तकदीर बदलने के लिये कुछ चिंतक बाहर से आये और ऐसा निशान छोड़कर गये, जो दूसरो के लिये आज भी नजीर हैं। मसलन, मेडिकल कालेज।
ऐसा नहीं है कि उन चिंतको की नजीर को किसी ने समझा नहीं हो। जिन्हे जनता ने चुना उन्होने बीते कुछ सालो मे अलग करने का प्रयास, तो किया, लेकिन जो असल मुददे थे उन्हे छू भी नहीं पाये।
शहर का अतिक्रमण, पानी, सड़क, बिजली आदि मुददे आज भी जनता के लिये चुनावी वायदे से ज्यादा नहीं है। समाधान के लिये जनप्रतिनिधियो ने कार्यालय तक खोले, लेकिन उम्मीद की रोशनी किसी दरवाजे से बाहर नही आ सकी। विधायक रवि शर्मा अपने संवैधानिक दायित्व निभाने के दूसरे टर्म को पूरा करने की दिशा मे आगे बढ़ रहे,लेकिन वो आज भी पानी की समस्या से निजात के लिये सवालो के घेरे मे हैं।
दावा करते है कि किसी को प्यासा नहीं रखेगे। टैंकर से सप्लाई करवा देगे, लेकिन स्थायी समाधान कब होगा, यह उन्हे भी नहीं पता। अब पानी की किल्लत लोगो के सिर चढ़कर बोलने लगी है। कभी रक्सा मे पानी बेचे जाने के हालातो ने आज सरकारी कर्मियो को पानी ताले मे बंद करके सुरक्षित रखने की नौबत आ गयी है।
इस बात का जीता जागता उदाहरण है, सोशल मीडिया पर जारी यह तस्वीर। इसे एक व्यक्ति ने जारी किया। यानि लोग जागरूक है। जनप्रतिनिधि नहीं! यहां सवाल यही है कि आखिर कब तक पानी के लिये हालात बिगड़े बने रहेगे?
“बुन्देलखण्ड में गर्मी आते ही पेयजल के लिए मारा-मारी के हालात बन जाते हैं। यह ‘किस्सागोई’ लगभग प्रचलित हो गया है। सरकारी प्रयास प्रकृति के आगे नाकाफी ही रहे हैं। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही पानी की कमी से बीमारियां और झगड़े के हालात बनने लगे हैं।
आज जनपद ललितपुर के कस्बा बिरधा में ब्लॉक कार्यालय का चित्र शेयर किया है Ashish Jha ने। यहाँ रोज़ाना प्यासे रहकर सरकारी कारिंदे ड्यूटी बजाते हैं। अगर पानी का कैम्पर आ भी जाता है तो उसे लॉकर के अंदर रखकर सुरक्षित कर लिया जाता है।