झांसीः बीते रोज नगर निगम मे उप सभापति पद के लिये हुये चुनाव मे भाजपा ने बाजी तो मार ली, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या यह अकेले सभासद दिनेश प्रताप सिंह उर्फ बंटी राजा की है या…? आखिर इतनी सटीक रणनीति बनी कैसे?
इस सवाल का जवाब तलाशने वालो को पहले खबर मे दिखायी जा रही तस्वीर पर गौर करना होगा। खबर मे दो तस्वीरे है। इनहे ध्यान से देखेेगे, तो समझ मे आयेगा कि बंटी राजा के चेहरे पर जो खुशी है उससे कहीं ज्यादा खुशी विधायक रवि शर्मा के चेहरे पर नजर आ रही।
तस्वीर मे मेयर रामतीर्थ सिंघल, विधायक बबीना राजीव सिंह पारीछा, क्षेत्रीय मंत्री संजीव ऋंगीऋषि, संतोष सोनी सहित अन्य नेता नजर आ रहे हैं।
दरअसल, बीजेपी को इस बात का डर था कि उप सभापति चुनाव मे कहीं भितरघात ना हो जाए। इसलिये इस चुनाव के संचालन का जिम्मा विधायक रवि शर्मा के कंधे पर रखा गया। बताते है कि रवि ने पहले ही साफ कर दिया था कि दिनेश को ही उप सभापति पद के लिये प्रत्याशी बनाया जाए।
सूत्र बताते है कि भाजपा के सभासद की संख्या के अलावा एक अन्य वोट को लेकर जो परेशानी थी, उसे रवि शर्मा ने अपनी जुगाड़ नीति से हल कर दिया था, लेकिन लोगो के मन मे संशय था।
उप सभापति पद के लिये भाजपा के दूसरे प्रत्याशी विद्या प्रकाश दुबे भी पूरी तैयारी से थे, लेकिन उन्हे पार्टी का साथ नहीं मिला, इसलिये वो खामोश हो गये।
सत्ताधारी दल के नाते यदि उप सभापति का पद पार्टी के खेमे मे नहीं जाता, तो सहकारी बैंक चुनाव मे मिली मात जैसी स्थिति ना बने। बैंक के चुनाव मे भाजपा प्रत्याशी सुधीर सिंह एडवोकेट एक वोट से मात खा गये थे,चुनाव मे सपा ने जीत हासिल की थी।
बैंक के चुनाव मिली हार से पार्टी के अंदर सवाल उठने लगे थे कि क्या सत्ताधारी दल नगर निगम मे होने वाले उप सभापति पद मे भी वैसी ही हार का सामना करेगा? इस सवाल का हल निकाला रवि शर्मा ने।
जानकार बताते है कि रवि ने सभी सभासद को विश्वास मे लिया और ऐसा माहौल बनाया कि बंटी की जीत का रास्ता साफ हो गया। वैसे रवि की रणनीति के साथ एक सवाल यह भी उठ रहा कि नगर निगम के उप सभापति पद जैसे चुनाव मे भाजपा के बड़े-बड़े नेताओ को मैदान मे आना पड़ता है, दूसरे लाइन के नेता केवल फोटो खिंचाने के लिये है?