झांसी-भाजपाईयो के मुंह पर लगाके ताला, कैसे खुल गई पशुवधशाला?

झांसीः जानवरो  के प्रति अथाह प्रेम दर्शाने वाली भाजपा के लोग इन दिनो  नगर क्षेत्र मे  खुली पशुवधशाला को लेकर मुंह खोलने या कहे मुंह छिपाते घूम रहे हैं। नगर निगम ने गेद प्रशासन के पाले मे  फेक दी। विधायक रवि शर्मा से लेकर अन्य पदाधिकारी इस मुददे पर बात ही नहीं करना चाहते। सवाल यह है कि यह पशुवधशाला खुल कैसे गये और अधिकारी तक इस मुददे पर क्यो  कुछ नहीं बोल पा रहे?

हमारे बारे मे  अच्छा बोलो, अच्छा लिखो। कमियां और व्यवस्थाओ  को लेकर सवाल मत करो। इन दिनो  भाजपाईयो  का पूरा व्यक्तित्व इन्हीं कुछ बिन्दुओ  के इर्दगिर्द सिमट कर रह गया है।

झांसी सहित पूरे बुन्देलखण्ड मे  बीते कुछ सालो मे  भाजपा का ग्राफ तेजी से बढ़ा। लोकसभा और विधानसभा चुनाव मे  पार्टी को बुन्देलखण्ड से काफी सीटे मिली। इसमे  विधानसभा मे  तो जैसे मोदी मैजिक कहे या फिर विपक्षियो  की मुकाबला ना कर पाने की कमजोरी। बीजेपी को पूरी पर कब्जा जमाने मे  सफलता मिल गयी।

सवाल यहां भाजपा के बढ़ते ग्राफ का नहीं है। सवाल यह है कि जिस समय लोकसभा चुनाव हुआ था, तब सांसद प्रत्याशी उमा भारती ने कहा था कि बुन्देलखण्ड राज्य तीन साल के भीतर बन जाएगा। वो तो बना नहीं, हां पशु वधशाला जरूर खुल गयी।

बुन्देलखण्ड की पवित्र माटी पर खुली इस वधशाला का पहले भी विरोध हुआ था। तब कहा गया था कि नगर निगम की परमीशन से वधशाला खुली। विरोध के बाद नगर निगम ने वधशाला मे  ताला लगाने का काम किया।

अब एक बार फिर से नगर मे पशु वधशाला खुल गयी। कमाल देखिये, नगर निगम को यह पता ही नहीं कि पशुवधशाला किसकी इजाजत से खुली। भारतीय प्रजाशक्ति पार्टी के पंकज रावत अपने समर्थको  के साथ पशुवधशाला को बंद किये जाने के लिये ज्ञापन देने नगर आयुक्त के पास पहुंचे, तो उन्हे चैंकाने वाली जानकारी दी गयी।

पंकज रावत के अनुसार नगर आयुक्त ने बताया कि पशुवधशाला नगर निगम की परमीशन से नहीं खुली! नगर निगम ने इसके लिये प्रशासन से बात करने की सलाह दे डाली।

हां, इस चैंकाने वाली जानकारी मे जो बताया गया वो काफी दिलचस्प है। पंकज का कहना है कि नगर निगम ने उन्हे  जो जानकारी दी, उसके अनुसार पशुवधशाला मे  प्रतिदिन 600 पशु काटने की अनुमति है। इसमे  तीन सौ छोटे और तीन सौ बड़े।

यानि बुन्देली माटी मे  हर दिन 600 पशु कट रहे हैं! म्हारानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली पशुओ  के रक्त से रंजित हो रही और किसी को ऐतराज नहीं। इस मामले मे  जब आचार्य हरिओम पाठक से बात की गयी, तो उन्हांेने कहा कि हमने पिछली बार पशुवधशाला का विरोध किया था। उसके हटने के बाद दूसरी बार पशुवधशाला कैसे खुल गयी। हरिओम पाठक ने कहा कि वो किसी भी कीमत पर पशुवधशाला का संचालन नहीं होने देगे। बुन्देलखण्ड की पवित्र माटी पर रोजगार के लिये उद्योग धंधे लगाये जाएं, यह नहीं कि पशु वधशाला खोलकर रक्त बहाते हुये युवाओ  को रोजगार दिया जाए।

पशुवधशाला को लेकर सबसे ज्यादा परेशान नगर विधायक रवि शर्मा है। वो पशुवधशाला को लेकर पूछे जाने वाले सवाल से बचने के लिये फोन ही नहीं उठा रहे। आखिर क्यो?

पशुवधशाला के बारे मे  सूत्रा से मिली जानकारी में बताया जा रहा है कि यह परमीशन सीधे दिल्ली से ली गयी है। स्थानीय स्तर पर कागजी कार्यवाही को बहुत तेजी मे  अंजाम दिया गया। सूत्रांे का कहना है कि जिन मंत्रालयो  को परमीशन पाने के लिये प्रार्थना पत्र मे  शामिल किया जाता है, उनमे  कुछ सीधे सांसद उमा भारती के पास हैं? तो क्या दीदी को यह सब पता है? जब उनसे इस बारे मे  बात करने के लिये स्थानीय स्तर पर सांसद प्रतिनिधि को फोन किया गया, तो वह उपलब्ध नहीं हो सके।

बरहाल, पशु प्रेमियो  के साथ नगर के लोगो  को यह पशुवधशाला का खुलना समझ नहीं आ रहा। भारतीय प्रजाशक्ति पार्टी के पंकज रावत का कहना है कि वो हर हाल में पशुवधशाला को बंद कराकर रहेगे। वो कहते है कि अब भाजपाई क्यो पशुशाला को लेकर चुप हैं?

 

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