झांसी: कल तक किनारे पर बैठे कांग्रेसी देश के विभिन्न हिस्सों मे होने वाले चुनावो मे मिल रही जीत के बाद फ्रंट पर आ गये हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य का कद बढ़ने के साथ कांग्रेस की वापसी को लेकर भी चर्चाएं होने लगी हैं।
कहते है कि वक्त बदलता रहता है। जो वक्त के साथ नहीं चला। वो या तो पीछे छूट जाता या फिर उसे किसी का साथ नहीं मिलता। शायद बीजेपी के साथ दूसरी स्थिति हो रही है। उसे धीरे-धीरे जनता का साथ छूटता दिख रहा है।
गुरदासपुर के उप चुनाव मे कांग्रेस के सुनील जाखड़ को मिली जबरदस्त जीत ने कांग्रेसियां उत्साह का संचार कर दिया है। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से पहले मिली यह जीत पूरे देश मे सकारात्मकता का संदेश देते हुये कांग्रेसियो को संघर्ष की राह मे खड़ी करने वाली साबित हो सकती है।
वैसे तो गुजरात, हिमाचल और फिर मध्य प्रदेश मे चुनाव होना है। गुजरात और हिमाचल के चुनाव के बीच यूपी मे निकाय चुनाव है। कांग्रेस को यहां अपनी ताकत दिखाने का पूरा मौका मिलेगा।
स्थानीय स्तर पर कांग्रेस गुरदासपुर की सीट की जीत को लेकर खासे उत्साहित हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन ने कहा कि जनता ने नरेन्द्र मोदी की नीतियो को नकार दिया है। देश मे बेरोजगारी सबसे बड़ा संकट है।
नोटबंदी और जीएसटी को सही तरीके से लागू नहीं किया गया। किसान आत्महत्या कर रहा है।
कांग्रेस के इस उत्साह ने एक सवाल जरूर खड़ा कर दिया। पिछले विधानसभा चुनाव मे बुन्देलखण्ड की 19 सीतो पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी क्या निकाय चुनाव मे वो प्रदर्शन बरकरार रख पाएंगी।
झांसी मे मेयर सहित सभासद के चुनाव मे पिछली बार कांग्रेस का दबदबा रहा था। पूर्व महापौर डा. बी लाल ने भारी मतो से जीत हासिल की थी। हालंाकि बाद मे मेयर पद पर बीजेपी ने जीत हासिल कर सीट को अपने खाते मे कर लिया था। कांग्रेसी एक बार फिर से उसी जीत को हासिल करना चाहते हैं।
माना जा रहा है कि इस बार के मेयर चुनाव मे कांग्रेस प्रदीप जैन की पसंद का चेहरा मैदान मे उतारेगी। कांग्रेसियों मे प्रदीप जैन को लेकर भी उत्साह है। उनका कद फिलहाल पार्टी मे उपर बना हुआ है। माना जा रहा है कि प्रदीप के लोकसभा सांसद रहते कराये गये विकास कार्य अब जनता की नजरो मे आये हैं। ऐसे मे बहुत संभव है कि प्रदीप का चेहरा मेयर ही नहीं सभासदी के चुनाव मे भी जादू दिखा सके। यहां बीजेपी से सही चेहरा सामने नहीं दिख रहा। प्रदीप सरावगी को लेकर जनता मे खासी नाराजगी है। उन्हे जनाधार वाला नेता नही माना जा रहा। सपा, बसपा भी चेहरो को लेकर परेशान हैं। ऐसे मे यदि कांग्रेस जीत हासिल करती है है, तो निश्चिय ही यह कांग्रेस रिटन्स होगा।