झांसीः इसमे कोई दो राय नहीं कि नगर के प्रथम नागरिक की कुर्सी पर विराजमान मेयर रामतीर्थ सिंघल सहज स्वभाव के हैं। उनमे कार्य करने का जो जज्बा है, उसको हर कोई सलाम करता है। उन्हांेने नगर को स्वच्छता सर्वेक्षण मे झांसी को तीसरा स्थान दिलवान मे अहम भूमिका निभायी। सवाल है कि क्या उनका यह जज्बा क्या किसी मुददे को ठोस रूप देकर उन्हे ऐतिहासिक काम करने वाला महापौर बना सकेगा? इसमे पहल के रूप मे पालीथिन हो सकती है। प्लास्टिक को महाराष्ट मे प्रतिबंधित कर दिया गया है। उप्र का तो पता नहीं, झांसी मे पसुओ की जान लेने, लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होने की जानकारी के बाद भी कोई अधिकारी या माननीय इसे बंद नहीं करा सके। आखिर क्यो? जबकि इसको लेकर कई बार अभियान चलाया गया?
झांसी की खासियत है कि यहां मुददे चंद दिन के बाद अपने आप दम तोड़ देते हैं। बात चाहे अतिक्रमण की चले या फिर अवैध निर्माण की। वैसे तो नगर मे हर दूसरा काम बिना इजाजत और अवैध की परिधि मे नजर आता है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क से लेकर खान पान की वस्तुओ मे मिलावट और मानको की अनदेखी लोगो की सेहत को मौत के कगार पर पहुंचा रही है। यह बात माननीय ही नहीं, अधिकारी भी अच्छी तरह जानते हैं। इसके बाद भी कुछ मामलो मे सख्ती नहीं दिखा पाते। सवाल है कि आखिर ऐसा क्यो है? क्या लोगो की सेहत से जुड़े मुददे पर सख्ती गलत है? मसलन, पालीथिन। पूर्व मे महापौर रही श्रीमती किरन राजू बुकसेलर ने मीडिया के सहयोग से कई अभियान चलाये।
प्रशासन ने पालीथिन के प्रयोग के मानक तय किये। ऐसा नहीं है कि इन अभियान का कोई रिजल्ट नहीं आया हो। बाजार मे सब्जी मंडी से लेकर दुकानो मे पालीथिन गायब हो गयी थी।
लोग थैला लेकर बाजार मे आने लगे थे। दुकानदारो ने भी कागज के बैग बनवा लिये थे, लेकिन मामला जैसे सेट होते ही पालीथिन को बंपर सेल की तरह वापस ले आया।
आज फिर हालात ऐसे है कि नालियां, सड़के, कचरे के डिब्बे पालीथिन से पटे पड़े हैं। जानवर कचरे के डिब्बे मे पड़े खाने के सामान के साथ पालीथिन निगल रहे हैं।
सब्जियां फिर से पालीथिन मे आ रही है। गंज मे पालीथिन का कारोबार चरम पर है। व्यापारी संगठन मौज मे है। सवाल यह है कि जब जिम्मेदार लोग ही खामोश होकर तमाशा देखेगे, तो अवैध और गलत काम करने वाले कहां रूकेगे? स्वच्छता अभियान की सफलता के बाद जब महापौर रामतीर्थ सिंघल से सवाल किया गया कि नगर मे पालीथिन प्रतिबंध को लेकर वो क्या पहल करेगे। इस पर सिंघल का जवाब सकारात्मक तो था, लेकिन शब्दो मे विश्वास की कमी नजर आयी। देखना यह है कि क्या रामजी को झासीवासियो के सेहत का ख्याल है या फिर जैसा है वैसा चलने दो की प्रक्रिया जारी रखेगे?