अजय श्रीवास्तव
नयी दिल्ली, 10 सितंबर चीन के साथ रिश्तों में पिछले दिनों बढ़ती तनातनी के बीच इस बार त्योहारी सीजन में भारतीय बाजारों में चीन के उत्पादों का जलवा कम होने की आशंका है। होली, दिवाली जैसे भारतीय त्योहारों पर पिछले कई बरसों से ‘ड्रैगन’ का दबदबा रहा है। हालांकि, इस बार डोकलाम विवाद और चीनी सामान के बहिष्कार के अभियान की वजह से स्थिति कुछ बदली नजर आ रही है। हालांकि कुछ व्यापारियों का यह भी कहना है कि सस्ते चीनी सामान का मुकाबला आसान नहीं है।
इस साल दिवाली से पहले व्यापारियों ने भी चीन से सामान के आर्डरों में काफी कमी है। रोशनी की लड़ियां हों अथवा तमाम तरह के गिफ्ट आइटम, देवी देवताओं की मूर्तियां या गॉड फिगर हर साल दिवाली से पहले ऐसे ‘चाइनीज’ उत्पादों की बाढ़ आ जाती है।
देशभर के थोक व्यापारी दिवाली से चार-पांच महीने महीने पहले ही चीन से सामान मंगाने के लिए आर्डर दे देते हैं। पिछले साल दिवाली के मौके पर चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान जोरदार तरीके से चला था, लेकिन इसके बावजूद ‘ड्रैगन’ का दबदबा कायम रहा।
कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेड्रर्स :कैट: के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने ‘भाषा’ से कहा कि डोकलाम विवाद हालांकि सुलझ चुका है, लेकिन निश्चित रूप से चीन से हमारी ‘मैत्री’ कमजोर पड़ी है। खंडेलवाल कहते हैं कि दिवाली से पहले होली और राखी पर भी चीन से आयात कम हुआ। उन्होंने कहा कि लोगों से लगातार चीन का सामान नहीं खरीदने को कहा जा रहा है और इसका असर दिख भी रहा है।
खंडेलवाल कहते हैं कि इस बार दिवाली पर चीन के सामानों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 50 प्रतिशत से भी कम रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि यह दिवाली हमारे मूर्तिकारों, कुम्हारों के लिए बढ़िया रहने वाली है। अब ग्राहक चीन से आयातित देवी देवताओं की मूर्तियों के बजाय देश में बनी गॉड फिगर की मांग करने लगे हैं। इसके अलावा दीयों और मोमबत्तियों की मांग भी अधिक रहने की संभावना है। साथ ही व्यापारी अब इंडोनेशिया, मलेशिया आदि देशों से भी आयात पर ध्यान दे रहे हैं। दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा भी मानते हैं कि इस बार दिवाली पर ‘ड्रैगन’ का दबदबा कम रहेगा। उन्होंने कहा कि हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर सबक लेते हुए व्यापारियों ने चीन से कम आयात आर्डर दिए हैं।
बवेजा ने कहा कि जो व्यापारी हर साल दिवाली पर चीन से एक करोड़ रुपये का सामान आयात करता था, इस साल उसने 40-50 लाख रुपये का ही आर्डर दिया है। हालांकि इसके साथ ही वह कहते हैं कि जब तक हमारे पास प्रौद्योगिकी नहीं होगी, चीन से मुकाबला करना मुश्किल है। उनका कहना है कि बड़े व्यापारी तो फिर भी चीनी उत्पादों के बिना अपना काम चला लेंगे, लेकिन छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए यह मुश्किल है।