नैना बोस
नई दिल्ली 21 सितम्बरः लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को अपननो ने पूरी तरह से अकेला छोड़ने का फैसला कर लिया है। आज गुरूवार को पार्टी के 94 बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पार्टी मंे शामिल हो गये। इनमे पूर्व मंत्री इन्द्रजीज सरोज भी शामिल हैं।
बसपा मे मची भगदड़ की आहट शायद मायावती भांप नहीं पा रही हैं। वो अपने दलित वोट बैंक के चक्कर मे दूसरी जातियो के नेताओ को महत्व नहीं दे रही। यही कारण है कि उनसे दूसरे जाति के उनके पार्टी के नेता नाराज होकर पार्टी छोड़ रहे हैं। नसीमउददीन सिददीकि के बाद इन्द्रजीत सरोज का पार्टी छोड़ना मायावती के नेतृत्व पर सवाल उठाने लगा है। पार्टी के लोग ही कहने लगे है कि क्या मायावती अकेले पार्टी चलाएंगी?
इंद्रजीत सरोज ने मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह से नरेंद्र मोदी के राज में देश में अघोषित आपातकाल है, वैसा ही हाल मायावती के नेतृत्व में बसपा में है।
इंद्रजीत सरोज ने कहा कि सपा तथा बसपा को मिलकर सामंती ताकत वाली पार्टियों को सामना करना होगा। बीजेपी नोटबंदी से अपार धन संचय कर ली है और यह दूसरे पार्टी के नेताओं को पैसे के बल पर या धमकी देकर अपने खेमे में शामिल करने में जुटी हुईं हैं। चार बार विधायक रह चुके पूर्व बसपा नेता ने कहा हम सपा के सभी नेताओं को आस्त करते हैं कि हम इतनी मेहनत करेंगे कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में फिर से अखिलेश की सरकार बने। वैसे, उससे पहले हम 2019 में इसका ट्रेलर दिखाएंगे। प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने शुरुआती छह महीने में कोई काम नहीं किया। वह दूसरों के विषय में ही बात कर रही है। वे जनता को आगे भी ठगना चाहेंगे।
सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा कि वह सदन में गरीबों, दलितों, पिछड़ों और मजलूमों की आवाज को पहुंचाने और लगातार जमीनी काम करने वाले सरोज और उनके तमाम साथियों का पार्टी में स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि सपा में आज शामिल हुए लोग इस पार्टी को अपना घर समझों। यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है और यहां वे अपनी बात रख सकते हैं। वे जिन मूल्यों के लिये संघर्ष करते रहे हैं, इस पार्टी में भी वे उनके लिये जद्दोजहद करके लोगों को न्याय दिला सकते हैं। अखिलेश ने कहा कि हमें भरोसा है कि हमारे नये साथी देश में नया उदाहरण पेश करेंगे। वे गरीबों दलितों को न्याय दिलाने का काम करेंगे।