झांसी: यदि भाजपा महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी उर्फ भाईजी का बस चले, तो वो अपने आपको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घोषित कर दे । उनकी तानाशाही का आलम यह है कि भाजपा मे ही उन्हे लेकर जमकर विरोध हो रहा है। संगठित कार्यकर्ताओ को लूप लाइन मे रखने के आदी प्रदीप पर नया इल्जाम यह है कि वो संगठन को व्यक्तिगत टीम की तरह चला रहे हैं। आज उन्होने एक महंगे होटल मे नगर निकाय चुनाव से संबंधित बैठक बुलायी। चंद लोगो को ही इसकी जानकारी हो सकी। बाकी बरस पड़े। यहां तक सोशल मीडिया पर भी सवाल जवाब होने लगे। इसमे फंस गये एक पत्रकार साथी,जो अब भाजपा के खेमे मे हैं।
भाजपा महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी के कार्यशैली को लेकर पिछले काफी समय से शिकवे शिकायत हो रही है। उन्हे आम कार्यकर्ता नजर नहीं आता। कर्मठ कार्यकर्ताआंे की उनकी लिस्ट मे जगह नहीं है। अपने आप को संघ का सबसे करीब कहने वाले प्रदीप सरावगी ने आज एक बार फिर से खुद को विवादों के घेरे मे ले लिया। उन्होने नगर निकाय चुनाव को लेकर बेठक बुलायी। यही से वो सवालों के घेरे मे आ गये। पहला सवाल यह कि क्या जरूरत थी कि किसी महंगे होटल मे बैठक बुलायी जाए? दूसरा यह आम कार्यकर्ताआंे को इसकी सूचना क्यों नहीं दी?
इस बात को लेकर गुस्सा उस समय फूट पड़ा, जब बैठक मे शामिल लोगो ने तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। हालंाकि उनकी मंशा किसी विवाद को खड़ा करने की नहीं थी, लेकिन अंदर सुलग रही आग मे जल रहे दूसरे भाजपाई कहां पीछे रहते। उन्होने तत्काल कमेन्ट कर दिया कि संगठन को व्यक्तिगत तौर पर चलाया जा रहा है। लगता है कि योगी आदित्यनाथ को यहां आने की जरूरत नहीं। प्रदीप सरावगी खुद मे सरकार बन गये हैं। कमेन्ट की बात चली तो पुराने और दिग्गज भाजपाई अपना गुबार निकालने लगे। वैसे जब से महानगर अध्यक्ष पद पर प्रदीप सरावगी की ताजापोशी हुयी है, वो कर्मठ भजपाइयो के निशाने पर हैं। कर्मठ भाजपाइयो का कहना है कि उन्हे संगठन मे किसी प्रकार की तरजीह नहीं दी जाती। उन्हे पद ही नहीं दिया गया। पद तो छोड़ी कभी यह नहीं पूछा जाता कि कार्यालय आया करो?
पार्टी के प्रति समर्पित यह कार्यकर्ता सार्वजनिक रूप से जुबान नहीं खोल पा रहे हैं। उन्होने अपने दर्द के पार्टी के बड़े नेताओ को बताने का मन जरूर बना लिया है। यहां गौरतलब यह हैकि प्रदीप सरावगी आखिर क्यों अपने हेकड़ी मे रहते हैं। जबकि कुछ समय पहले तक यही प्रदीप सरावगी लोगो की आंख का तारा हुआ करते थे। ईमानदार और कर्मठ कहे जाने वाले प्रदीप सरावगी की इस राजनैतिक चाल से भाजपाई फिलहाल तो मात खा रहे हैं, लेकिन उन्हे उम्मीद है कि एक दिन प्रदीप उर्फ भाईजी को इस बात का एहसास जरूर होगा। अगर भूलवश उन्हे मेयर का प्रत्याशी बना दिया गया? अभी तो इस बात पर बहस चल रही है कि होटल मे बैठक बुलाने का प्लान किसका था और प्रदीप सरावगी क्यों संगठन को अपने लिये प्रयोग कर रहे हैं?
Suresh Kumar Mankani भाई साहब फेसबुक पे कार्यक्रम की फोटो तो अपडेट हो जाती हैं
पर उसके पहले कार्यक्रम की सूचना भी तो अपडेट किया करो।।
Chandrabhan Raibjp इस महानगर इकाई को
इक सन्गठन के बजाय व्यक्तिगत टीम की तरह चलाये जाने की आदत हो गयी है
बड़े पदाधिकारियों को