झांसीः चुनाव मे अंतिम समय तक सस्पेस बनाने की कला भाजपा से ज्यादा कोई नहीं जानता होगा। निकाय चुनाव का आज एलान होना है। जाहिर है कि सभी की निगाह सत्ताधारी दल पर हैं। बीजेपी मे मेयर पद के लिये दो दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि पार्टी संतोष गुप्ता पर दांव लगाने की तैयारी मे है, जो सभी के लिये छुपे रूस्तम साबित हो सकते हैं।
आइये पहले यह जानते है कि संतोष कुमार गुप्ता है कौन? संघ से जुड़े सूत्रों की माने, तो संतोष पिछले 30 साल से ज्यादा समय से आरएसएस से जुड़े हैं। वो संघ की आर्थिक मददगारो मे एक गिने जाते हैं।समर्पण के साथ संघ का साथ निभा रहे संतोष कुमार गुप्ता बीते दिनांे सुर्खियों मे आये।
जब नगर मंे उनके कई जगह होडिग्स नजर आए।हालांकि आम जनता संतोष को नहीं जानती। संतोष के मैदान मे आने से पार्टी मे दूसरे दावेदारो के सामने संकट खड़ा हो गया है।जानकार बताते है कि संतोष की दावेदारी के बादमहानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी सरंेडर की स्थिति मे आ गये हैं।
उन्हे इस बात का एहसास है कि संतोष के सामने उनका कद बहुत छोटा है।जानकार बताते है कि पार्टी ब्राहमण कार्ड नहीं खेलना चाहती। जीएसटी व नोटबंदी के बाद बने हालाटॉम मे सबसे ज्यादा गुस्से मे वैश्य वर्ग है। यानि व्यापार करने वाले। पार्टी वैश्य समुदाय पर दांव लगाकर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास कर सकती है।
इसके अलावा दूसरी पार्टियो से ब्राहमण चेहरा सामने आने और वर्तमान मे नगर का विधायक भी ब्राहमण होने से पार्टी ब्राहमण पर दांव लगाने से कतरा रही है।
हां, पिछड़े वर्ग पर भी पार्टी की नजर है। सीट सामान्य होने के बाद भी पिछड़े वर्ग से दावेदार को मौका दिया जा सकता है?बरहाल, हरियाणा मे जिस तरह से पार्टी ने मनोहर लाल खटटर एवं उप्र मे योगी आदित्यनाथ को कुर्सी सौंपी। उससे साफ है कि पार्टी छुपे रूस्तम पर दांव लगाने मे ज्यादा विश्वास रखती है।
इसके अलावा संघ के आदेश को भी सिर माथे पर रखने मे सफलता मिलेगी। वैसे एक दो दिन मे तय हो जाएगा कि भाजपा का चेहरा कौन होगा? संतोष सामने आते हैं, तो यकीन मानिये कि पार्टी मे विद्रोह की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी?