नरसिंह ( नृसिंह ) जयंती की सभी देश वासियों को हार्दिक शुभकामनायें ! रिपोर्ट: अनिल मौर्य

खंभ फाड़ि नरसिंह बनि आये !
भक्ति भक्त हित रक्षा को हरि , रूप महा विकराल धराये !
राखन हित विश्वास आस को , विकट रूप हरि आज दिखाये !
आध रूप अति हिंसक सिंह को , आधे नर को रूप बनाये !
प्रकट भये हरि फाड़ खंभ को , व्यापकता कण कण दर्शाये !
हिरण्यकश्यिपू महा असुर इक , स्वयं को ही भगवान बताये !
दिवस रैन नहिं भीतर बाहर , गगन धरा मंह मृत कर पाये !
किन्नर देव यक्ष नर नारी , अस्त्र शस्त्र कोउ जीत न पाये !
बुद्धि युक्ति निज सकल लगाकर , हिरण्यकश्यपु यह वर पाये !
हरि को शत्रु मान प्रबल नित , साधु संत जन खूब सताये !
निज बालक प्रहलाद भक्त पर , अतिशय अत्याचार कराये !
भक्ति रूप नारद गुरु पाकर , बढ़त भक्त भक्ति नित जाये !
असुरराज की चली न एकहुँ , छल बल सब निष्फल करवाये !
बल मदांध हो हिरण्यकश्यिपू , मारन हित प्रहलाद बुलाये !
गदा मार करि खंभ में पूछत , कहाँ बसत तेरो हरि राये !
भक्तिहु भक्तन रक्षा हित हरि , फाड़ खंभ नरसिंह प्रकटाये !
पकरि असुर को खींच कै लै चल , बैठि के ड्योढ़ी जाँघ बिठाये !
रात दिवस के मिलन प्रहर अरु , असुर उदर नख चीरत जाये !
विजय भई प्रहलाद भक्त की , जय जय जय सुर नर मुनि गाये !
चलै नहीं कोउ बुद्धिहिं युक्ति , हरि से कोऊ जीत न पाये !
प्रेम भक्ति भक्तन रक्षा हित , नित नित हरि अवतार धराये !
अविचल भक्ति का वर दे हरि , भक्त नाम जग अमर कराये !
नाम भक्ति इक सकल अधारा , जग को यह विश्वास दिलाये !
दृढ भरोस अरु हरि से प्रीती , भवसागर से पार कराये !
दृढ भरोस यह राखु निरंतर , हरि की भगति व्यर्थ नहिं जाये !
पल पल हो अवतार निरंतर , श्वेत चित्त हरि जो नित ध्याये !

– Shwetabh Pathak ( श्वेताभ पाठक )

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