पत्रकार प्रकरण-झांसी मे सवालो पर योगी के अधिकारी क्यो भड़क रहे!

झांसी 9 जनवरीः प्रदेश की योगी सरकार स्कूली बच्चो को स्वेटर नहीं दिये जाने पर मीडिया का निशाना बनने के बाद खामोशी से काम कर रही है, वहीं झांसी मे अधिकारी सवालो  को लेकर आपा खो रहे हैं? यह कैसी स्थिति है?

आपको बता दे कि नगर मे हर साल सर्दी के मौसम मे गरीब, असहाय और मजबूर लोगो  को राहत देने के लिये नगर निगम अलाव जलाने का काम करता है। इन दिनो  सर्द रात का पहरा इतना सख्त हो गया है कि खुले आसमान मे सांस लेने वालो की सांसे कब थम जाए, कोई भरोसा नहीं। सर्दी के प्रहार को सरकारी सहायता से दूर भगाने की हर साल की आस मे सैकड़ा लोग इंतजार और उम्मीद का दामन थामे बैठे हैं।

अब यह तो नहीं कहा जा सकता कि अलाव जले नहीं, क्येकि नगर निगम कह रहा है कि नगर के हर कोने मे आग है। गर्माहट मे बदन तप रहे हैं। निगम के इन्हीं दावो को सच के आइने मे देखने के लिये मीडिया के कुछ लोग नगर आयुक्त के पास गये।

जैसा कि कहा जा रहा है कि नगर आयुक्त से अलाव को लेकर किये गये सवाल ने ही विवाद को जन्म दे दिया। तनातनी और विवाद मे कब लाठी आ गयी, किसी को समझ नहीं आया।

बरहाल, मामला संवेदनशील है, इसलिये अधिकारियो  को भी गंभीरता का परिचय देना चाहिये। माना मीडिया ने सवाल दागा, तो जवाब के लिये कई रास्ते हो सकते हैं।

प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सवालो  के जवाब मे कभी तीखापन या विवाद को जन्म देने की स्थिति नहीं बनाते।

बरहाल, मामला बिगड़ गया है। पत्रकारो के सम्मान से जुड़े मुददे पर पुलिस के बड़े अधिकारी यानि डीआईजी ने कार्रवाई का भरोसा देकर राहत की पहल की। अभी हालात यह है कि झांसी मे सर्द मौसम की हवा मे मीडिया और अधिकारी के विवाद की गर्म हवा बह रही है। देखना है कि क्या अधिकारी अपने गलत या लापरवाह रवैये मे सुधार लाते है!

 

 

 

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