बिहार-कौन से फरमान से बेरोजगार हो जाएंगे 80 हजार लोग?

पटना। पिछले 3 दिनों से हड़ताल पर बैठे कर्मी समान काम समान वेतन की मांग कर रहे हैं। लेकिन बिहार में स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर कार्यरत 80 हजार कर्मियों की की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। क्यों कि बिहार सरकार ने इनकी सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और सिविल सर्जनों इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिया है।

बताया रहा है प्रधान सचिव आर के महाजन ने अपने-अपने जिले के सभी हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों के सेवा के विरुद्ध नए कर्मियों की बहाली का निर्देश दिया है। महाजन द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि काम का बहिष्कार करने वाली कर्मियों का पेमेंट नहीं किया जाए और उनके वर्क कॉन्ट्रैक्ट को खत्म किया जाए।

पत्र में यह भी लिखा है कि जो भी काम पर लौटने वाले शख्स को रोकने का प्रयास करेगा, या काम में बाधा डालने की कोशिश करेगा, उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सोमवार 4 दिसंबर से हड़ताल पर बैठे इन कर्मियों में संविदा पर बहाल नर्सिंग स्टाफ, एकाउंटेंट, लैब तकनीशियन और हेल्थ मैनेजर आदि शामिल हैं। बता दें कि इन सभी कर्मियों की नियुक्ति राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के अंतर्गत की गई थी।

हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं में बुरा असर पड़ा है। खबर है कि जिलों के PHC समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में मरीजों की चिकित्सा बंद होने की खबरें आ रही हैं।

वहीं राज्य सरकार के इस फैसले पर हड़ताल पर गए स्वास्थ्य कर्मियों ने भी कड़ तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने सरकार के इस रवैये को तानाशाही बताते हुए आंदोलन को और तेज करने की बात कही है।

साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो जरूरत पड़ने व भूख हड़ताल भी करेंगे और आत्मदाह से भी पीछे नहीं हटेंगे। किसी भी सरकारी अस्पताल में काम नहीं होने देंगे और अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो उसकी जिम्मेदार बिहार सरकार होगी

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