झांसीः बुन्देलखण्ड मे ब्राहमणांे की अनदेखी को लेकर ब्राहमण समाज मे जबरदस्त गुस्सा है। हालत यह है कि सभी दलो को अपनी ताकत दिखाने के लिये ब्राहमण को एकजुट करने की रणनीति पर काम शुरू हो गया है। इसे ब्राहमण के मचलने के संकेत के रूप मे देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि बुन्देलखण्ड मे ब्राहमणांे के लिये अवसर कम होते जा रहे हैं, उससे ब्राहमण समाज की आने वाली पीढ़ी के सामने संकट खड़ा हो सकता है। समाज की आवाज कम नहीं होने देने और बुन्देलखण्ड मे दबदबा कायम रखने के लिये लोकसभा चुनाव से पहले दमखभ दिखाने की बारी आयी थी।
इस बार भी ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है। बहुत संभव है कि इस बार सभी ब्राहमण संगठन एक मंच पर आकर आवाज बुलंद करे । ब्राहमण समाज को साफट कार्नर के रूप मे रखने वाली भाजपा भले की यह दावा करे कि पार्टी ने रवि शर्मा को विधायकी का ताज पहनवा दिया लेकिन इस बात का असर ब्राहमण पर होता नहीं दिखायी दे रहा। सपा से तो ब्राहमण समाज की नाराजगी जाहिर होने लगी है।
कांग्रेस की तरह ही सपा के भी मुस्लिम प्रेम ने ब्राहमण समाज को गैर बना दिया है। दोनो की दलो ने अब तक ब्राहमण समाज के लिये किसी प्रकार की बात नहीं की। पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य, राज्यसभा सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव कभी भी ब्राहमण संगठनो को साथ लेने मे रूचि लेते नजर नहीं आये।
ऐेसे मे नाराजगी के मुहाने पर खड़े ब्राहमण समाज का गुस्सा सातवें आसमान पर है। जानकारांे का मानना है कि अपने साथ हो रहे छलावे का संदेश देने के लिये बनायी गयी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने की तैयारियां जोरो पर हैं। घर-घर इस बात को पहुंचाया जाएगा कि यदि अब नहीं जागे तो बुरा होगा। दूसरे समाज की तरह ब्राहमण समाज को भी चिल्लाना होगा, हक मांगना होगा।
हक और सम्मान की लड़ाई की यह शुरूआत धीरे-धीरे विकराल रूप ले सकती है। वैसे जानकारो का कहना है कि ब्राहमण को अपने पाले मे लेने के लिये सभी दलो ने जोरदार तैयारियां शुरू कर दी है। निकाय चुनाव मे ब्राहमण समाज काफी हद तक निर्णायक भूमिका मे होगा।
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समाज के हर वर्ग तक बात पहुंचायी जायेगी
झांसी: ब्राहमण को राजनैतिक पटल पर उनका हक और सम्मान दिलाने के लिये एकजुटता का पाठ पढ़ाने की रणनीति को बताने के लिये समाज के हर वर्ग को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा हैं। व्यापारी, अधिवक्ता, सरकारी कर्मी सहित अन्य कार्यों मे लगे ब्राहमणजनो तक संदेश पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। ब्राहमणांे के एकजुट होने और आवाज बुलंद करने की बात सामने आने के बाद राजनैतिक दलो मे हलचल मच गयी है। जानकारो का कहना है कि सभी राजनैतिक दलो ने अपने रणनीतिकारो को ब्राहमण समाज के एकजुट होने की कोशिशांे की सिलसिलेवार जानकारी हासिल करना षुरू कर दी है। वैसे समाज के लोगों का तो यही कहना है कि आगे-आगे देखिये होता है क्या?