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बड़ा सवाल! बबीना औऱ मऊरानीपुर में कैसे फाइट में आएंगे अनुराग शर्मा?

झाँसी। लोकसभा चुनाव पूरे चरम पर है। झाँसी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी पर सभी की निगाह है। बीजेपी प्रत्याशी अनुराग शर्मा का मुकाबला गठबंधन के श्याम सुंदर सिंह और कांग्रेस समर्थित जनअधिकार पार्टी के शिवशरण कुशवाहा से है। चुनावी मैदान में इन दलों के अलावा निर्दलीय एवम दूसरे प्रत्याशी भी है।

आमतौर पर मुकाबला इन तीनों प्रत्याशियों के बीच नजर आ रहा है। बुन्देलखण्ड क्रांति दल की श्रुति अग्रवाल बुंदेलखंड राज्य निर्माण की आवाज बन कर इन प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है।

इन सबसे इतर यदि विधानसभा वार स्थिति का आकलन करें, तो बबीना विधानसभा में 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चंद्रपाल सिंह यादव ने अपनी मजबूत पकड़ साबित की थी। वह मऊरानीपुर विधानसभा में भी भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी उमा भारती से लीड लेकर चले थे।

बबीना विधानसभा में लोधी वोट अधिक होने से उमा भारती को काफी फायदा हुआ था । अब मैदान में उमा भारती की जगह अनुराग शर्मा है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है क्या वह शर्मा लोधी वोटरों पर वह पकड़ साबित कर पाएंगे जो उमा भारती की थी ? इसके अलावा 2014 के बाद से उमा भारती की संसदीय क्षेत्र से पलायन की स्थिति और वर्तमान विधायक राजीव सिंह पारीछा का कई गांवों में विधायक बनने के बाद ना जाना पार्टी के लिए घातक साबित होने की स्थिति पैदा कर रहा है।

बबीना विधानसभा में चंद्रपाल सिंह के साथ बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी अनुराधा शर्मा ने अच्छे वोट हासिल किए थे । वर्तमान में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होने से दोनों दलों के वोटर यदि एकत्रित हो जाते हैं, तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अनुराग शर्मा के सामने मुश्किल और गहरी हो सकती है।

बबीना विधानसभा में विधायक राजीव सिंह पारीछा पिछले काफी समय से पार्टी प्रत्याशी के लिए गांव में जनसंपर्क कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें लोगों की शिकायतों का सामना भी करना पड़ रहा है । इस स्थिति को अनुराग शर्मा ने भी कई जगह महसूस किया है । मऊरानीपुर और बबीना विधानसभा में दलित, पिछड़े और लोधी वोट निर्णायक भूमिका में हैं। माना जा रहा है कि इन क्षेत्रों में गठबंधन प्रत्याशी श्यामसुंदर सिंह यादव भाजपा प्रत्याशी की अपेक्षा भारी साबित हो सकती हैं।

उन्हें गांव में मिल रहे समर्थन के साथ भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी की पहचान और उमा भारती एवं राजीव सिंह की अनुपलब्धता ने मुश्किल में तो डाल ही रखा है। हालांकि राजीव सिंह पूरा जोर लगा रहे हैं कि उनकी विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी को अधिक से अधिक वोट मिल सकें , यह उनके लिए प्रतिष्ठा का सवाल है।

मऊरानीपुर विधानसभा में समाजवादी पार्टी के नेताओं का व्यापक जनसंपर्क अपने जनाधार को बचाए रखने के लिए कितना कारगर होगा और क्या अनुराग शर्मा वर्तमान विधायक बिहारी लाल आर्य के साथ गठबंधन के जनाधार को अपनी ओर खींच सकेंगे, यह बड़ा सवाल है?

राजनीतिकजानकर मान रहे है कि बबीना और मऊरानीपुर के अलावा ललितपुर की महरौनी ,बांसी , तालबेट क्षेत्र भी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किल भरे साबित हो सकते हैं ! पार्टी प्रत्याशी भी इन्हीं क्षेत्रों पर पूरा जोर लगाए हुए हैं ।

क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशी की कमजोरी का अंदाजा भी इसी बात से लगता है कि मतदान का समय निकट आने से पहले तक शर्मा क्षेत्रों में लगातार घूम रहे हैं ।

झांसी विधानसभा में जिस तरह से उन्होंने विधायक रवि शर्मा और महापौर राम तीर्थ सिंगल के भरोसे क्षेत्र को छोड़ा है, वह इन इलाकों को किसी के भरोसे छोड़ नहीं पा रहे हैं ? ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अनुराग शर्मा अपने चुनावी मैनेजमेंट में गठबंधन के सामने खुद को मजबूत बनाने के लिए कोई नई रणनीति पर अमल कर रहे हैं या उन्हें इस क्षेत्र से मिलने वाली चुनौती किसी संकट में डाल सकती है।

बरहाल अब तक गठबंधन के सामने कमजोर नजर आ रहे अनुराग शर्मा प्रचार के अंतिम समय में क्या गुल खिलाएंगे यह देखना दिलचस्प होगा । उनके साथ किस वर्ग का वोटर जुड़ेगा यह 23 मई को होने वाली मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा। अभी स्थिति संभालने के लिए अनुराग शर्मा जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं?

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