झांसीः कलम, कला और कृपाण की धरती बुन्देलखण्ड। दशको से बेहाल। आंदोलन, प्रदर्शन और विकास की राह ताकना। शायह माटी की यही नियति है? जीहां, पृथक बुन्देलखण्ड राज्य की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच यह जानना बेहद जरूरी है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बुन्देलखण्ड को अच्छी तरह से जानते हैं। फिर क्यो राज्य बनाने को लेकर बीजेपी अपनी नीति साफ नहीं करती?
अकूत खनिज संपदा की मालिक बुन्देली माटी का सीना हमेशा ही जोरजबरदस्ती करने वालो ने लूट के उददेश्य से छलनी किया। सरकारे बदली, निजाम बदले, लेकिन बुन्देली माटी की किस्मत नहीं बदली।
प्रदेश मे पिछले 27 से अधिक सालो से बसपा, सपा और भाजपा की सरकारे रहीं। केवल बसपा ने पिछले कार्यकाल मे प्रदेश को तीन हिस्सो मे बांटने की हिम्मत का परिचय दिया। कांग्रेस, सपा और भाजपा आज भी उहापोह की स्थिति मे हैं।
आपको जानना बेहद जरूरी होगा कि पृथक बुन्देलखण्ड राज्य की लड़ाई स्व. शंकर लाल मेहरोत्रा के मार्गदर्शन मे जब शुरू हुयी, तो क्रान्ति का अंजाम सामने था।
कहते है कि हर जगह गददार और बेईमान होते हैं। शंकर भईया के साथ रहने वाले लोगो मे भी कुछ गददार थे। इन्हांेने शंकर भइया का सपना पूरा होने से पहले ही उसे ऐसा तोड़ा कि भईया अस्पताल के बिस्तर में आखिरी सांस तक पछतावा करते रहे।
बरहाल, समय के बदलाव के साथ आज बुन्देलखण्ड राज्य को लेकर भानू सहाय, सत्येन्द्र पाल सिंह आदि युवा नेता मैदान मे हैं। वैसे तो बुन्देली राज्य के लिये आंदोलन की धार को तेज करने मे इन नेताओ के पसीने छूट रहे हैं, लेकिन संकल्प शक्ति के सहारे अनेक होते हुये भी एक दिखने मे कभी-कभी कामयाबी दिखा देते हैं।
बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण मे बीकेडी के प्राचार्य डा. बाबूलाल तिवारी, सुनील तिवारी, रघुराज शर्मा आदि का जिक्र ना हो, तो बात अधूरी लगती है। वैसे स्व. सांसद डा. विश्वनाथ शर्मा ने भी अंतिम सांस तक बुन्देलखण्ड राज्य के लिये अपनी आवाज बुलंद रखी।
अब जब परिस्थितियां पूरी तरह से भाजपा के पाले मे हैं और भाजपा का स्थानीय सांसद उमा भारती आम चुनाव मे यह वादा कर चुकी थी कि जीत के तीन साल के भीतर राज्य बना दिया जाएगा, उनके विपरीत होने को लेकर लोगो मे गुस्सा है।
यहां रोचकता इस बात की नजर आने लगी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय भी बुन्देलखण्ड राज्य की वजूद को स्वीकार करता है। यह बात बीते रोज झांसी के मेयर रामतीर्थ सिंघल सहित पूरे प्रदेश के मेयरो की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हुयी मुलाकात के बाद और अच्छे से साफ हो गयी।
मेयर से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो टवीट किया, उसमे बुन्देलखण्ड का साफ तौर पर जिक्र किया गया।
ऐसे हालातो मे आंदोलन करने वालो को चाहिये कि वो प्रधानमंत्री के सामने अपनी मांग क्यो नहीं उठाते?
यहां सवाल यह भी है कि जो लोग आंदोलन मे जुटे हैं और अपनी रणनीति को अंजाम देने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हे नये सिरे से सोचना होगा कि क्यो मोदीजी तक उनकी बात नहीं पहुंच रही?