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यूपी के जालौन में नियमों की उड़ रही धज्जियां, 15 की उम्र में चला रहे 150CC बाइक, रिपोर्ट अवनीत गुर्जर

जिला जालौन में 15 वर्ष से कम उम्र के स्टूडेंट्स 150 सीसी की बाइक चला रहे हैं। फर्राटे से ओवरस्पीड में गाडिय़ां दौडाऩे वाले इन छात्रों पर न तो स्कूल प्रबंधन लगाम कस पाया और न ही ट्रेफिक पुलिस

उरई /जालौन/कालपी/कोंच। शहरी व ग्रामीणों में 15 वर्ष से कम उम्र के स्टूडेंट्स 150 सीसी की बाइक चला रहे हैं। फर्राटे से ओवरस्पीड में गाडिय़ां दौडाऩे वाले इन छात्रों पर न तो स्कूल प्रबंधन लगाम कस पाया और न ही ट्रेफिक पुलिस। केवल हेलमेट और लाइसेंस के लिए अभियान चलाकर यातायात पुलिस ने अपनी ड्यूटी निभा दी।

जिला परिवहन विभाग की टीम ने भी कभी यह नहीं जांचा कि आखिर बच्चे कौन सी बाइक लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं? हैवी बाइक को लेकर स्कूल प्रबंधन ने भी आज तक सख्ती नहीं की। किसी भी स्कूल प्रबंधन ने सख्ती से कभी पालकों न तो समझाइश दी और न ही छात्रों को बाइक लाने से रोका। कुछ स्कूलों में भले ही अंदर गाडिय़ों को इंट्री नहीं दी, लेकिन स्कूल के बाहर अघोषित पार्किग बनाकर छात्र बाइक रखते हैं। आलम यह है कि शहर के अधिकांश नामी स्कूल में हाईस्कूल के छात्र अपनी बाइक से स्कूल आते हैं। इन सबके पीछे पालकों का तर्क यह है कि स्कूल, ट्यूशन के बीच तालमेल रखने बच्चों को बाइक देना जरूरी है।
क्या है नियम
परिहवन विभाग में छात्रों को लाइसेंस देने के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसमें 16 वर्ष की कम उम्र के छात्रों को वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। वहीं 16 वर्ष की उम्र वाले छात्रों के लिए जो लाइंसेंस बनता है उसमें उन्हें 50 सीसी से कम क्षमता वाले बिना गियर के वाहन चलाने की अनुमति है। इसके लिए छात्रों को आरटीओ या अपने स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से लाइसेंस बनवाना होता है।

यह हो रहा
शहर की स्कूलों में गाडिय़ां लेकर आने वाले छात्रों में ज्यादातर की उम्र 14 से 16 वर्ष के बीच है। न तो उनमें से अधिकांश के पास लाइसेंस है और न ही हेलमेट। वाहन के दस्तावेज भी उनके नाम से नहीं है। स्कूल की पार्किग में स्टॉफ से ज्यादा छात्रों के वाहन है। डीपीएस रिसाली का हाल तो यह है कि स्कूल के बाहर रुआबांधा की ओर छात्र अपने वाहन रखते हैं ताकि स्कूल की नजर उन पर न पड़ें।

आरटीओ ने कभी नहीं की चेकिंग
जिला परिवहन विभाग ने कभी भी स्कूली बच्चों की बाइक केपेसिटी और उनकी उम्र को लेकर चेकिंग नहीं की। अब तक आरटीओ की ओर से एक भी ऐसा अभियान या छापामार कार्रवाई नहीं की गई जिसमें नियमों की धज्यियां उड़ाने वाले छात्र या उनके पालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

ट्रैफिक पुलिस की खानापूर्ति
ट्रैफिक पुलिस ने जुलाई और अगस्त में स्कूली बच्चों के लिए अभियान चलाया जरूर लेकिन केवल हेलमेट और लाइसेंस की जांच कर उन्हें चालानी कार्रवाई के बाद छोड़ दिया। इस दौरान उन्होंने यह चेक करने की जरूरत नहीं समझी कि छात्र के पास जो बाइक है उसकी केपेसिटी कितनी है और कितनी होनी चाहिए।

नाबालिग और बिना लाइसेंस के गियर वाली गाड़ी चलाते हुए पाए जाने पर छात्र और पालक दोनों पर ही जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन पालक जुर्माना देकर दोबारा अपने बच्चों को गाड़ी दे देते हैं।
बच्चों को कैसी गाड़ी चलाने देनी है यह पालकों की जिम्मेदारी है।
कोंच एसडीएम गुलाब सिंह

स्कूली बच्चों के लाइसेंस-हेलमेट के साथ-साथ अब यह भी देखा जाएगा कि उनके लाइसेंस के मुताबिक वाहन है या नहीं। जल्द ही आरटीओ की टीम इस संबंध में जांच करेगी कि 50 सीसी से ज्यादा के हैवी वाहन पाए जाने पर छात्रों के साथ-साथ पालकों पर भी कार्रवाई की जाएगी। डाॅ० अरविन्द चतुर्वेदी पुलिस अधीक्षक जालौन

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