हिमेन्द्र
लखनउ 5 मईः कैबिनेट मंत्री और झांसी-ललितपुर क्षेत्र की सांसद उमा भारती अपने प्रतिनिधि जगदीश सिंह चैहान से नाराज बतायी जा रही है! यह संकेत इस बात से मिले है कि अचानक भाजपा के क्षेत्रीय स्तर के नेता संजीव ऋंगीऋषि को चैहान का सहयोगी बना दिया। इससे सवाल उठ रहे है कि क्या चैहान मे कार्यभार संभालने की क्षमता नहीं है या फिर कुछ और कारण हैं?
सन 2014 मे हुये लोकसभा चुनाव मे झांसी संसदीय सीट पर उमा भारती ने जीत हासिल की थी। चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ किया था कि कोई भी सांसद अपने रिश्तेदार या परिजनो को सांसद प्रतिनिधि नहीं बना सकेगा।
झांसी का प्रतिनिधित्व करने वाली उमा भारती ने सर्वमान्य चेहरे के रूप मे सहज स्वभाव वाले डा. जगदीश सिह चैहान को अपना सांसद प्रतिनिधि बनाया। चैहान पिछले कई साल से उमा भारती के क्षेत्र मे ना रहन के दौरान जनता की शिकायत और समस्याओ को दीदी तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
उमा भारती के ओमशांति नगर स्थित आवास पर बने कार्यालय से चैहान सांसद प्रतिनिधि का जिम्मा संभालते हैं। अभी तक चैहान को लेकर उमा भारती ने कोई शिकायत या नाराजगी नहीं दिखायी थी।
बीते दिनो अचानक एक घटनाक्रम हुआ, जिसने चैहान के पर कतर दिये। चैहान को सांसद प्रतिनिधि पद से नहीं हटाया गया, लेकिन उनके साथ क्षेत्रीय स्तर का काम देखने वाले संजीव ऋंगीऋषि को सहायक के रूप मे जिम्मेदारी दे दी गयी।
बात यही तक रहती, तब भी समझ आती। शायद चुनाव नजदीक आते देख चैहान की भागदौड़ ज्यादा होगी, इसलिये उन्हे सहायक दे दिया गया। सहायक दिया गया, लेकिन सिर पर बैठा दिया गया। संजीव केवल सहायक नहीं बनाये गये हैं, दीदी की मेहरबानी ऐसी बरती कि संजीव से कहा गया कि वो जिलाधिकारी, कमिश्नर और अन्य प्रशासनिक बैठको मे प्रतिनिधित्व करेगे। यानि चैहान केवल नाम के चैहान रह गये?
सूत्र बताते है कि चैहान के पर कतरने के पीछे बड़ी रोचक कहानी है। दरअसल, राजीव सिंह पारीछा के बबीना विधानसभा चुनाव मे संजीव ऋंगीऋषि ने काफी मेहनत की थी। राजीव सिंह उन्हे इनाम देना चाह रहे थे, लेकिन मौका नहीं मिल रहा था।
राजीव सिंह के बारे मे कहा जाता है कि उमा भारती के खास माने जाते हैं। इस खास ने अपने खास के लिये उमा के खास को आम बना दिया?
संजीव के सहायक सांसद प्रतिनिधि के रूप मे काम करने को लेकर पार्टी के लोग ही सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि जब संजीव क्षेत्र स्तर की राजनीति कर रहे हैं, तो वो फिर क्यो मोहल्ला वाला नेता बनने की दिशा मे मुड़ आये? यदि वो क्षेत्र का भी काम देखते हैं और सहायक प्रतिनिधि का भी काम देखते हैं, तो कैसे न्याय कर सकेगे?
इन दिनो पार्टी मे उमा भारती के इस फैसले को लेकर जमकर चर्चा है। मामला उमा भारती से जुड़ा है, सो अंदर ही अंदर चिल्ला रहे, बाहर क्या कहे?