लखनऊ 13 सितंबर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण को समय से पहले रिहा करने का फैसला किया है कहां जा रहा है कि रावण की मां की याचिका पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने के बाद यह निर्णय लिया गया.।
योगी सरकार की इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में नई प्रकार की चर्चाओं ने जन्म ले लिया है। राजनीतिक पंडित मान रहे हैं 2019 के चुनाव में एससी एसटी एक्ट के बाद भाजपा का यह एक बड़ा दाव सकता है है।
राज्य सरकार द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि रावण की मां के आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उनकी समयपूर्व रिहाई का फैसला लिया गया है. बता दें कि रावण को 1 नवंबर, 2018 तक जेल में रहना था लेकिन अब उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा.
रावण के अलावा दो अन्य आरोपियों सोनू पुत्र नाथीराम और शिवकुमार पुत्र रामदास को भी सरकार ने रिहा करने का फैसला किया है.
आपको बता दें कि बीते साल सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुए जातीय हिंसा के बाद काफी दिनों तक तनाव रहा था प्रशासन ने इस मामले में भीम आर्मी की संस्थापक चंद्रशेखर को आरोपी मानते हुए उन्हें जेल में बंद कर दिया था।
योगी सरकार के इस फैसले लोकसभा चुनावों से पहले दलितों की नाराजगी दूर करने के दांव के तौर पर देखा जा रहा है.
पश्चिम उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी का खासा प्रभाव है, जो दलित आंदोलन के जरिए अपनी जड़ें जमाना चाहती है. हाल में हुए कैराना और नूरपुर के उपचुनावों में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के पीछे भीम आर्मी के दलित-मुस्लिम गठजोड़ को बड़ी वजह माना जा रहा था.
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