नई दिल्ली 19 दिसंबर क्या आने वाले दिनों में राजनीति का वक्त बदलने वाला है ? इस बात को भले ही राजनीतिक पंडित कयास में खोजें, लेकिन राजनीति की मौसम विशेषज्ञ कहे जाने वाले रामविलास पासवान के खेमे से जो सुगबुगाहट शुरू हुई है, उसमें वक्त बदलने की संभावनाओं को सवालों में खड़ा कर दिया है।
इन दिनों एलजेपी नेता रामविलास पासवान की पार्टी के स्वर सत्ता के विरोध में सुने जा रहे हैं । बीते रोज रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान में एक ट्वीट से हड़कंप क्या मचाया इसके बाद उनके भाई पशुपति पारस में सीधे सीधे बीजेपी को 31 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दे दिया।
उन्होंने कहा कि हम 2014 में एनडीए का हिस्सा बने थे हमारा मकसद नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना था। हम चाहते हैं कि 2014 में जो हमें 7 सीटे दी गई थी, इतनी ही सीटें दी जाए । पारस ने कहा कि अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच सीट बंटवारे को लेकर बात हुई तो हमसे चर्चा नहीं हुई थी
पारस के तेवर भले ही तल्ख ना हो, लेकिन विरोध का आभास जरूर करा रहे हैं ।बउन्होंने कहा कि अमित शाह को एनडीए के सभी नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के जाने से एनडीए संकट में है।
आपको बता दें कि बीते रोज ही रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने एक ट्वीट करके बिहार की राजनीति को गरमा दिया था बिहार में भाजपा और नीतीश की पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर रजामंदी हो चुकी है, लेकिन एनडीए के सहयोगी घटक दल में शामिल एलजीपी शायद अपने हिस्से की सीटों को लेकर संतुष्ट नहीं है।
राजनीतिक गलियारे में यह कहा जाता है कि रामविलास पासवान आने वाले वक्त की राजनीति को भापने में माहिर हैं और यदि वो अभी से विरोध के रास्ते पर चलते हैं तो कहा जा सकता है कि आने वाले समय में एनडीए के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है।
हालांकि अभी यह साफ नहीं ही है कि रामविलास पासवान एनडीए छोड़ेंगे या नहीं, लेकिन जिस तरह से उनके बेटे और भाई ने अपनी आवाज उठाई है, वह संकेत दे रही है कि बीजेपी के सामने अपनों को मैनेज करना वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है।