*राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर संघर्ष सेवा समिति के तत्वावधान में गोष्ठी का आयोजन*
झांसी। हिंदी साहित्य के पुरोधा एवं गहोई समाज के आराध्य कवि मैथिलीशरण गुप्त जिनकी कविताएं अनादिकाल लोगों के कानों में गूंजती रहेगी। उनके द्वारा लिखा गया साहित्य हमारी संस्कृति का गौरव बढ़ाने में विशेष सहयोगी रहा एवं स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी लिखी गई कविताएं लोगों में उत्साह भरने का कार्य करती रहीं। उनकी कविताएं अधिकांशतः देशभक्ति से ओतप्रोत रहती थी झांसी के चिरगांव में जन्मे मैथिलीशरण गुप्त झांसी और आसपास के क्षेत्रों में रहकर साहित्य की रचना करते रहे जिसकी गूंज देश-विदेश तक पहुंची। गहोई समाज उन्हें अपने आराध्य के रूप में मानता है एवं उनके जन्मदिवस को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर गहोई समाज में जन्में जनपद के प्रतिष्ठित समाजसेवी संघर्ष सेवा समिति अध्यक्ष डॉ. संदीप सरावगी एवं समस्त समिति सदस्यों ने तहसील स्थित मैथिलीशरण गुप्त पार्क में राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि पश्चात समिति सदस्यों ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त अमर रहे के नारे लगाए। इस अवसर पर डॉ. संदीप सरावगी ने इतिहास के महान राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर नमन करते हुए कहा कि बुंदेलखंड के झांसी स्थित चिरगांव में जन्मे हिन्दी के प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी साहित्य के इतिहास में खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर बुंदेली भाषा को नई पहचान दी। मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य जगत में ‘दद्दा’ कह कर संबोधित किया जाता है। उनकी कृति भारत-भारती भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की पदवीं दी। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त गहोई समाज की अमूल्य धरोहर हैं भारतीय संस्कृति और साहित्य में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। इस अवसर पर संघर्ष सेवा समिति से अजय राय, बसंत गुप्ता, राकेश अहिरवार, सुशांत गेंडा, संदीप नामदेव, महेंद्र रायकवार, राजीव सिंह रजक त्रिलोक कटारिया, भूपेंद्र यादव, लाल सिंह, शैलेंद्र राय, राजेश रायकवार, अमन गौतम, नित्यांत साहू, मीना मसीह, पूर्वी कश्यप, उषा परिहार, अमन गौतम, पूनम, संतोषी गौतम, सोनम साहू सहित अन्य लोग मौजूद रहे।