रवि त्रिपाठी, देवेन्द्र कुमार व रोहित जाटव
झांसीः यदि आपको महान बनना है, तो आप महामहिम रामनाथ कोविंदजी के व्यक्तित्व से प्रेरणा जरूर लंे। उनकी सहजता का ही नतीजा कि आज वो देश के सर्वोच्च पद पर हैं। कभी भाजपा के साधारण से कार्यकर्ता के रूप में झांसी आये रामनाथ कोविंद जिस समय जिलाधिकारी व एसएसपी की बाते सुन रहे थे, उस समय किसी को आभास भी नहीं रहा होगा कि एक दिन यह व्यक्ति देश का राष्ट्रपति होगा।
एक कहावत है-त्रिया चरित्रम, पुरूष भाग्यम, किम करोति, देवो न जानी। यानि औरत का चरित्र और पुरूष का भाग्य कब क्या कर दे, देवता को भी नहीं पता होता। इस कहावत को साकार किया है रामनाथ कोविंद ने। अपने दायित्व के प्रति गंभीर और लगन के साथ हर काम करने का नतीजा है कि पार्टी ने उन्हे राष्ट्रपति पद के लिये चयनित कर उन्हे विराजमान कर दिया। कोविंदजी सन 2013 में झांसी आये थे। उस समय भाजपा नये अवतार मंे आते हुये पूरी तरह से मोदीमय थी। वैसे आज भी मोदीमय है, लेकिन उस समय मोदी केवल प्र्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी थे।
रैलियो का दौर चल रहा था। चुनावी मौसम मंे पार्टी के प्रचार की कमान नरेन्द्र मोदी के हाथ में थी, लेकिन मैनेजमेट अमित शाह देख रहे थे। अमित शाह ने उप्र के लिये जो टीम चुनी थी, उसमंे दिग्गज के साथ रामनाथ कोविंद को भी शामिल किया गया था। रामनाथ कोविंद उस समय न तो चर्चित चेहरे थे और न ही उन्हांेने खुद को चर्चा मंे लाने का काम किया था। केवल पार्टी के काम पर फोकस कर चल रहे रामनाथ कोविंद जब झांसी मंे नरेन्द्र मोदी की रैली की तैयारियांे के सिलसिले में आये, तो हमारी मुलाकात जीआईसी मैदान में हुयी। व्यवस्थाओ को देखा रहे रामनाथजी के साथ स्वतंत्रदेव सिंह, वाजपेयीजी आदि नेता थे।
मैदान का चयन होने से पहले प्रशासन ने भाजपा के प्रतिनिधिमंडल को कलेक्टरेट में बुलाया था। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियांे की मौजूदगी में हुयी इस बैठक में विधायक रवि शर्मा के साथ रामनाथ कोविंद, संजीव ़ऋंगीऋषि आदि नेता पहुंचे। बैठक में मोदी की रैली कोलेकर चर्चा हुयी। पूरी चर्चा मंे रवि शर्मा और तत्कालीन जिलाधिकारी तनवीर, एसएसपी सहित अन्य लोग अपने-अपने तर्क दे रहे थे।रामनाथ कोविंदजी सहजता के साथ इन लोगांे की बातंे सुन रहे थे। याद है जब जिलाधिकारी ने कहा कि रैली में भीड़ कितनी आ सकती है, तो रामनाथजी बोले कि अंदाजा लगाना मुश्किल है। हम लाखांे की संख्या का अनुमान लेकर चल रहे हैं। रामनाथजी का आकलन सटीक था। रैली में वाकई लाखांे लोग पहुंचे थे।
चर्चा करीब 20 मिनट से ज्यादा चली। इस पूरी चर्चा में रामनाथजी केवल श्रोता की तरह बातांे को सुनते रहे। उन्हांेने अपने काम को अंजाम दिया और नतीजा आप देख रहे हैं। नरेन्द्र मोदीजी प्रधानमंत्री बनंे, तो आज रामनाथजी देश के राष्ट्रपति हैं।