लखनऊ 19 नवंबर उत्तर प्रदेश सरकार अलग-अलग नामों से संचालित सहकारी बैंकों के विलय पर विचार कर रही है। सहकारिता विभाग के नियंत्रण में केवल एक ही बैंक रखने का प्रस्ताव है। इस बारे में नीति बनाने के लिए भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ के एसोसिएट विकास श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया है।
कमेटी से दो माह में सहकारिता विभाग को अपनी संस्तुति देने को कहा गया है।अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार यह कमेटी बैंकों के विलय की विस्तृत समीक्षा कर खूबियों कमजोरियों अवसरों और चुनौतियों को सामने लाएगी ।
मानव संसाधन क्षेत्र में नीतियां संस्थाओं व सहकारी बैंकों में तकनीकी विकास के वर्तमान स्तर की समीक्षा करते हुए तकनीकी व्यवस्था समितियों के व्यवसाय व प्रस्तावित बैंक के स्वरूप के संबंध में विस्तृत अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी।
रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख सचिव सहकारिता एमबीएस रामी रेड्डी ने कमेटी के सदस्य के रूप में शामिल होने वाले संस्थानों सेवानिवृत्त विशेषज्ञ सदस्यों के पारिश्रमिक का निर्धारण आयुक्त एवं निबंधक को करने के लिए अधिकृत किया है।
आयुक्त निबंधक पारिश्रमिक का भुगतान यूपी कोऑपरेटिव बैंक द्वारा करेंगे। कमेटी में सचिव, सीईओ, जिला सहकारी बैंक का नामांकन आयुक्त एवं निबंधक स्तर से होगा।
बताया जाता है कि जिन बैंकों के विलय से एक बैंक बनाने का प्रस्ताव है उनमें उत्तर प्रदेश कॉपरेटिव बैंक, 50 जिला सहकारी बैंक तथा सहकारी ग्राम विकास बैंक शामिल है।