नई दिल्ली 6 सितंबर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिकता को अपराध मानने से इनकार कर दिया है. इसे धारा-377 से बाहर कर दिया गया है.
समलैंगिकता पर धारा 377 को समाप्त किए जाने के फैसले के बाद एलजीबीटी लोग देश के विभिन्न राज्यों में खुशियां मना रहे हैं।
फैसले के समय जजों ने कहा कि समाज को पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए उन्हें इंद्रधनुषी रंगों में रंग खोजना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानवल्लकर ने कहां की लोगों को अपनी सोच बदलनी चाहिए। समान लिंग वालो के बीच रिश्ता बनाना अब धारा 377 के तहत नही आएगा।
समलैंगिक लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है
-मैं जो हूं वो हूं. लिहाजा जैसा मैं हूं उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाए- दीपक मिश्रा
-कोई भी अपने व्यक्तित्व से बच नहीं सकता है. समाज अब व्यक्तिगतता के लिए बेहतर है. मौजूदा हालत में हमारे विचार-विमर्श विभिन्न पहलू दिखता है.