Headlines

हठ करके ना चढ, तीखे बोल के ना चढ़, भाजपा ने उल्टी कर दी बोलो-ता..र..रा!

झांसीः अपनो से लगी आग, वर्ना हमने तो महल को जंगल मे बनाया था। कुछ ऐसा ही भाजपा के साथ हो रहा है। पहले राउंड मे टिकट कोलेकर माथापच्ची चली। अब गृहयुद्व थामने के लिये बड़ांे की अग्निपरीक्षा। ऐसे मे सवाल है कि भाजपा का क्या होगा?
सत्ताधारी दल के सामने कई प्रकार केसंकट होते हैं। हर किसी की महत्वाकांक्षा परवान चढ़ती है। सपने सच हो जाए। इसको लेकर जुगाड़और जोर आजमाइश च लती है।
मेयर पद के लिये आवेदन करने वालो को पार्टी ने खूब इंतजार कराया। पहले दौर मे प्रदीप सरावगी के नाम पर सहमति बन गयी, लेकिन प्रदीप जैन आदित्य का टिकट होने के बाद मामला पलट गया।
इस पलटाव ने बीजेपी के अंदर के स्वर तीखे कर दिये और वो सड़क पर उतर आये। दो दिन से चल रहे विरोध के नाटक मे क्या खास है। इसे जानने की लोग कोशिश कर रहे हैं।
आपको बता दे कि भाजपा मे प्रत्याशियो कोलेकर विरोध कोई नया नहीं है। पूर्व मे जब सांसद राजेन्द्र अग्निहोत्री की पत्नी चुनाव मैदान मे आयी थी, तब कुछ लोगोने सिर मुंडवा लिया था।
वो विरोध अंदर था। आज विरोध बाहर आ गया। अब अनुशासन और संगठन के नाम पर विरोध के स्वर दबाये जा रहे हैं।
यहां सवाल यह उठ रहा कि इस विरोध को हवा कौन दे रहा? सभी का पहला शक महानगर अध्यक्ष पर जा रहा। वोविरोध की राजनीति मे माहिर माने जाते हैं।
विधायक के चुनाव मे उन्हांेने अपनी इस अदा कोदिखाया भी था। इसके साथ ही सवाल उठ रहा कि क्यांे महानगर अध्यक्ष इस विरोध को लेकर आवाज नहीं उठा रहे? क्या वाकई उनकी मूक सहमति है? कैसे भाजपा कार्यालय मे विरोध करने वाले बैठ गये? क्या महानगर अध्यक्ष को जानकारी नहीं होसकी?
बरहाल, चुनाव का माहौल है। अपने गुस्सा मे है। संदेश जा रहा कि भाजपाईमहत्वाकांक्षी हो गये। जीत केवल अपने लिये चाहिये? जनता सेकोईमतलब नहीं?
हां कल हुये विरोध के बाद अब कहा जा रहा कि संगठन के लोग आकर बात करेगे। यानि वो यही कहंेगे-भई धीरज रखो। इतना ना उछलो। अभी खेल बाकी हैमेरे दोस्त…!

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *