हताश मोदी सरकार अपने ही मुनाफे वाली कंपनियो के शेयर बेचेगी

नई दिल्ली 4 अक्टूबरः यह लगभग तय हो चुका है कि मोदी सरकार देश के आर्थिक हालातो को पटरी पर लाने के लिये मुनाफे वाले संयंत्र के शेयरो को बेचेगी। सरकार के सामने इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है। इन शेयरो से मिले पैसांे को बाजार मे  धकेला जाएगा। वर्तमान मे  बाजार की हालत बद से बदतर हो चुकी है। बाजार को उबारने की मोदी सरकार की हर कोशिश नाकाम होने से वह हताश है।

जीएसटी और नोटबंदी के बाद देश के आर्थिक हालात कमजोर हो गये हैं। यहां तक कि बीजेपी के यशवन्त सिंहा ने बीते दितो  मोदी सरकार की नीतियो को आड़े हाथ लेते हुये वित्तमंत्री अरूण जेटली को कठघरे मे  खड़ा किया था।

बाजार की सुस्त चाल और निवेशको  का टोटा ने मोदी सरकार को चिंतन वाली स्थिति मे  खड़ा कर दिया है।

एक अंग्रेजी अखबार का दावा है कि सरकार ने विनिवेश की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। यह काम 2018 के पहले शुरू हो जाएगा। इन संयंत्र के शेयर के लिये उपयुक्त खरीददारो की तलाश शुरू हो गयी है।

जिन कंपनियों से मोदी सरकार पल्ला झाड़कर अपनी कमाई बढ़ाने की कवायद करने जा रही है उनमें बीईएमएल, पवन हंस, ब्रिज एंड रूफ कंपनी इंडिया और हिंदुस्तान प्रीफैब्स प्रमुख हैं. इन कंपनियों समेत सरकार की विनिवेश लिस्ट में 20 कंपनियां शामिल हैं जिन्हें अक्टूबर 2016 में ही मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है.

केंद्र सरकार की योजना के मुताबिक वह बीईएमएल में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 54 फीसदी से घटाकर 28 फीसदी करना चाहती है. वहीं अन्य कंपनियों से वह पूरी तरह बाहर निकलने की कवायद करने जा रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था की स्थिति ऐसी है कि उसे विनिवेश के लिए उपयुक्त कहा जा सके? क्या मौजूदा समय पर केंद्र सरकार इन कंपनियों को बेचकर उम्मीद के मुताबिक रेवेन्यू एकत्र कर सकती है?

 

 

 

 

 

 

 

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