नई दिल्ली 26 मार्चः यदि केन्द्र सरकार ने समय पर पहल नहीं की, तो संभव है कि पीएनबी बैंक को डिफाल्टर घोषित कर दिया जाए। यह सब इसलिये होगा क्येकि यूनियन बैंक अपने एक हजार करोड़ रूपये वापस मांग रहा है।
यह देश के इतिहास में पहली बार होगा जब किसी सरकारी बैंक को डिफॉल्टर घोषित किया जाएगा। ऐसे में पंजाब नेशनल बैंक को इस स्थिति से बचाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केंद्र सरकार को आगे आना पड़ सकता है। यूनियन बैंक पीएनबी की ओर से जारी किए गए 1000 करोड़ रुपए के एलओयू को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं है, बैक ना सिर्फ पीएनबी की डिफॉल्टर घोषित करने की तैयारी कर रही है, बल्कि इस पैसे को एनपीए में भी डालने की योजना बना रहा है।
रेटिंग एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यह कोई बैंक डिफॉल्टर की सूचि में है तो यह काफी मुश्किल स्थिति है। उन्होंने कहा कि इस तरह की राशि एनपीए से अलग होती है। यहां उधार देने वाले की क्षमता या इरादे पर सवाल नहीं खड़ा होता है। लेकिन हमे आरबीआई और सरकार की ओर से इस संबंध में और स्पष्ट बयान की प्रतीक्षा करनी चाहिए। वहीं इस घटना के बाद तमाम बैंक एलओयू की जगह बैंक गारंटी देने के नियमों में बदलाव कर रहे हैं।