संदीप पौराणिक
भोपाल, 19 मई | मध्यप्रदेश के करीब आते विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस की रणनीति लगातार बदल रही है और राजनीतिक जमावट में भी कसावट लाई जा रही है। कांग्रेस की राजनीति राज्य में अब पूरी तरह प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार चलेगी। कद्दावर नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह भी उन्हीं जिलों में दौरा कर सकेंगे, जहां की अनुमति उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी से मिलेगी।
प्रदेश कांग्रेस की कमान कमलनाथ के हाथ में आने के बाद से राज्य के सियासी हल्कों में हलचल तेज हो गई है। एक तरफ कांग्रेस ने जहां चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं, वहीं कमलनाथ ने कार्यालय को संचालित करने के लिए अपनी टीम गठित कर दी है। इसके अलावा हाईकमान ने सिंधिया को प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बना दिया है।
राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर का कहना है कि कमलनाथ प्रदेश की राजनीति में वरिष्ठतम नेताओं में हैं, उनकी राजनीतिक हैसियत है, इसके अलावा पार्टी हाईकमान ने जो अधिकार दिए हैं, उसका उपयोग करना वे जानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने किसी भी नेता को पार्टी से बड़ा नहीं बनने दिया। मनमर्जी से यात्रा, दौरे करने की अनुमति नहीं दी।
उन्होंने कहा कि अब तक जो अध्यक्ष बने, उन्हें कई नेता नजरअंदाज करते रहे और स्वयं को पीसीसी से ऊपर बताते रहे, नतीजतन सब बेलगाम थे, मगर अब ऐसा नहीं हो रहा है।
पिछले दिनों दिग्विजय खेमे से खबर आई थी कि पूर्व मुख्यमंत्री ओरछा से विधानसभा क्षेत्रों का दौरा शुरू करेंगे। इस पर पार्टी के भीतर से ही सवाल उठने लगे। अब तय हुआ है कि दिग्विजय दावेदारों में समन्वय बनाने के लिए जिलास्तर पर बैठकें करेंगे और ये बैठकें बंद कमरे में होंगी।
पार्टी के मीडिया प्रभारी मानक अग्रवाल ने भी आईएएनएस से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है कि दिग्विजय सिंह का दायरा जिला स्तर पर सीमित रहेगा। उनका कार्यक्रम प्रदेश इकाई तय करेगी।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान दिग्विजय सिंह को प्रदेश में ज्यादा सक्रिय करने के पक्ष में नहीं है। दिग्विजय के दौरे को लेकर जब प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया से बात की गई तो उनका कहना था कि इस मसले पर वे कोई जवाब नहीं दे सकते। दिग्विजय किस रूप में सक्रिय होंगे, यह तो पीसीसी को तय करना है।
कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने भी दिग्विजय सिंह की यात्रा को लेकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया और कहा कि संगठन से जुड़े अन्य लोग ही यात्रा या दौरे का ब्यौरा दे सकेंगे।
कमलनाथ के निजी सहायक मिगलानी ने दिग्विजय की यात्रा के सवाल पर कहा कि अभी तक पीसीसी के पास उनके दौरे का कोई कार्यक्रम नहीं आया है। ऐसे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता।
राज्य की सियासत में दिग्विजय सिंह के प्रभाव और दबदबे को कोई नकार नहीं सकता। वे राज्य के 10 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे हैं। भाजपा उनके कार्यकाल की असफलताओं को गिनाकर फिर आगामी चुनाव में सड़क, बिजली को मुद्दा बनाना चाहती है। लिहाजा, कांग्रेस ने भाजपा को किसी तरह का सवाल उठाने का मौका न देने का मन बनाया है। इसी के चलते दिग्विजय सिंह किस तरह से बैठक करेंगे, कहां जाएंगे, यह सब पीसीसी तय करेगी।