नई दिल्ली 10 जून। इन दोनों पूरी दुनिया उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली शिखर वार्ता पर नजर लगाए हुए हैं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सिंगापुर के जिस टापू पर दोनों नेताओं की शिखर वार्ता होना है वह स्थान सबसे भयावह और मजबूत माना जाता है । इतिहास तो यही कहता है।
मीडिया में आ रही रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर के सेंटोसा टापू पर विश्व शांति के लिए जो शिखर वार्ता हो रही है उसका इतिहास काफी भयावह है इस टापू को मनहूस माना जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 वर्ग मील तक फैले इस टापू पर आज से 200 साल पहले डाकू का राज हुआ करता था जो व्यापारियों को लूट लिया करते थे। डाकू व्यापारियों को लूटने के बाद उन्हें मौत के घाट उतार दिया करते थे
बताया जाता है कि आज से करीब 70 साल पहले यहां पर हजारों लोगों का नरसंघार किया गया था। इसके अलावा 35 साल पहले तेल की एक जहाज की वजह से एक बहुत बड़ा हादसा हुआ था।
टापू पर हुए इतने बड़े हादसों के बाद लोगों ने इस स्थान को मनहूस मान लिया था।। इस स्थान को मनहूसियत से बाहर निकालने के लिए लोगों ने तय किया कि इसका नाम बदल लिया जाए और इस का नया नाम हुआ सेंटोसा।
टेलीग्राफ के मुताबिक साल 1972 तक सेंटोसा द्वीप को ‘पुलाऊ बेलकांग मति’ (Pulau Blakang Mati) नाम से जाना जाता था, जिसका मतलब होता है – मृत्यु का द्वीप (Island of Death from Behind).
अब इत्तेफाक देखिए इसी शापित जगह से विश्वशांति कायम करने की शुरूआत होने जा रही है. 12 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ओर किम सिंगापुर के इसी सेंटोसा द्वीप पर पहली बार एक-दूसरे से मिलेंगे.
यहां स्थित पांच सितारा होटल कपेला (Capella) में एक-दूसरे से हाथ मिलाएंगे. वाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
अब इस टापू पर पूरी दुनिया की नजर विश्व शांति के लिए होने जा रही है शिखर वार्ता पर जा टिकी है । लोगों के मन में सवाल है कि क्या इस टापू से मनहूसियत जगह शांति की धारा निकलेगी