लंदन, 26 सितंबर ज्वालामुखी से संबंधित गतिविधियों के कारण बनीं भूमिगत गुफाओं ‘‘लावा ट्यूब्स’’ से चांद और मंगल ग्रह पर मनुष्य के रहने की संभावनाओं को बल मिला है। वैज्ञानिकों ने कहा कि चांद और मंगल ग्रह पर लावा ट्यूब्स से मनुष्य को सुरक्षित आवास मिल सकता है और यहां तक कि इनमें गलियां या शहर भी बसाए जा सकते हैं।
हवाई, आइसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में उत्तर क्वींसलैंड, सिसली और गलापागोस द्वीपों समेत पृथ्वी पर कई ज्वालामुखी क्षेत्रों में लावा ट्यूब्स पाई गई हैं।
इन ट्यूबों का भूमिगत नेटवर्क 65 किलोमीटर तक का हो सकता है।
अंतरिक्ष में गए अभियानों में चांद और मंगलग्रह पर गड्ढे देखे गए जिससे लावा ट्यूब्स के सबूत मिलते हैं।
इटली में पडोवा विश्वविद्यालय और बोलोग्ना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पृथ्वी, चांद और मंगल ग्रह पर स्थित लावा ट्यूब्स का व्यवस्थित तुलनात्मक अध्ययन किया।
पडोवा विश्वविद्यालय के रिक्कार्डो पोज्जोबन ने कहा, ‘‘पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल ग्रह की तुलना से पता चला कि गुरुत्वाकर्षण का लावा ट्यूब्स के आकार पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर ये 30 मीटर तक हो सकती है। मंगल के कम गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में हमने 250 मीटर तक चौड़ी लावा ट्यूब्स के सबूत देखें।’’ उन्होंने कहा कि चांद पर ये सुरंगें एक किलोमीटर या उससे ज्यादा और लंबाई में सैकड़ों किलोमीटर तक फैली हो सकती हैं।
शोध के ये नतीजे चांद पर आवास की संभावनाओं और मानव जीवन के लिए अहम हैं और साथ ही मंगल ग्रह पर किसी और ग्रह के लोगों के रहने की संभावनओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
लावा ट्यूब्स कॉस्मिक किरणों और परग्रही कणों से सुरक्षा प्रदान करती है जिससे संभावित रूप से भविष्य में मनुष्यों को सुरक्षित आवास उपलब्ध हो सकता है।
पोज्जोबन ने कहा कि मानव बस्तियां बसाने के लिए लावा ट्यूब्स पर्याप्त रूप से काफी बड़ी भी होती हैं।