झाँसी। कहते हैं कि समरथ को नहिं दोष गुसाईं । सो हाल भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा का है।। समर्थ हैं तो उनकी मोहरे जैसे भी हो सबके लिए सोने की तरह हैं। अनुराग शर्मा के चुनावी संचालन के कर्णधार कहे जाने वाले प्रशांत शर्मा अचानक ही प्रत्याशी की तरह सुर्खियों में आ गए हैं ।
अनुराग शर्मा के चुनाव की पूरी कमान संभाले प्रशांत के इशारे के बिना कुछ नहीं हो सकता है । हालत यह है कि प्रशांत जैसा चाहते हैं वैसा होता है और जो पढ़ा लिखा सामने आता है उसे बोलते हैं और लोग तालियां बजाते हैं ।
यह नजारा बीते रोज बबीना विधानसभा क्षेत्र में उनके एक संपर्क कार्यक्रम में देखने को भी मिला । कार्यक्रम में सभी ने प्रशांत शर्मा को अनुराग से ज्यादा और उन्हें भावी सांसद का कर्णधार बता दिया । जब उनके बोलने की बारी आई तो हाथ में कागज था । कई बिंदु लिखे थे कई नाम थे। वो देखते जा रहे थे और बोलते जा रहे थे। कमाल तो इस बात का है कि प्रशांत की तारीफ में सभी ने ऐसी पुल बांधे जैसे सबसे होनहार और युवा राजनेता सामने खड़ा होकर भाषण दे रहा हो।
इन दिनों अनुराग शर्मा से ज्यादा प्रशांत शर्मा को अहमियत मिल रही है । फाइनेंस से लेकर जिम्मेदारी के काम के लिए सभी प्रशांत शर्मा की ओर टकटकी लगाए देखते रहते हैं । भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी से लेकर विधायक भी अपने लिए उनकी ओर से मिलने वाले इशारे की प्रतीक्षा में रहते हैं।
भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में मची अफरा-तफरी के संकेत एक विधायक के बोल से लगाए जा सकते हैं। वो कहते है कि हम क्या करें हमें तो खुद समझ नहीं आ रहा क्या करना है? यह गनीमत समझो कि हम विधायक हैं, सो पूछे जा रहे। वरना वहां तो कोई किसी को पूछने वाला नहीं है ।
भाजपा के ही एक क्षेत्रीय पदाधिकारी का कहना है कि व्यवस्था को लेकर कई बार कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है, लेकिन उसे दूर करने के लिए प्रयास नहीं किए जा रहे हैं । उनका कहना है कि भाजपा कार्यकर्ता कर्मठ है इसलिए आदर ना मिलने पर भी पार्टी को देख रहा है ।
क्षेत्रीय पदाधिकारी और विधायक के इस दर्द से साफ है कि अनुराग शर्मा ने पूरी तरह से पार्टी पर कब्जा कर लिया है । बरहाल, अनुराग शर्मा और प्रशांत शर्मा के इर्द-गिर्द घूम रहे भाजपा के प्रचार अभियान का क्या हाल होगा , यह तो 23 मई की मतगणना के बाद ही पता चलेगा , लेकिन अपनों के अंदर जो टीस है , वह किस रूप में गुल खिलाएगी यह देखना दिलचस्प रहेगा।