नई दिल्ली 22 अक्टूबरः हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले मे कहा कि रेप पीडि़ता की चुप्पी को यौन संबंध बनाने के लिये सहमति नहीं माना जा सकता। यह सबूत नहीं है। कोर्ट ने एक गर्भवती महिला के साथ बलात्कार करने के मामले के दौरान यह टिप्पणी की।कोर्ट ने कहा कि आरोपी के बचाव की इस दलील का कोई आधार नहीं है कि रेप पीडि़ता की चुप्पी संबंध बनाने मे सहमति थी। चुप्पी को यौन संबंध बनाने की सहमति के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि बिना सहमति के संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा।इसके साथ ही अदालत ने मुन्ना को दोषी मानने और दस साल की सजा के 2015 के फैसले को बरकरार रखा।गौरतलब है कि मुन्ना उस समय 28 साल का था और उसने एक गर्भवती महिला ने बार-बार रेप किया।
महिला ने आरोपियों पर यह आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उसे देह व्यापार के धंधे में धकेलने की कोशिश की लेकिन हाई कार्ट ने मुन्ना और उसके सह- आरोपी साथी सुमन कुमार को इस आरोप से भी बरी करने के फैसले को बरकरार रखा.
महिला के अनुसार, वह दिसंबर 2010 में उत्तर प्रदेश से दिल्ली आई थी और उसकी मुलाकात मुन्ना और उसके साथी कुमार से हुई जिन्होंने उसे काम दिलाने का कथित तौर पर झांसा दिया. उसने आरोप लगाया कि मुन्ना उसे हरियाणा में पानीपत ले गया जहां उसे करीब दो महीने तक एक फ्लैट में बंद करके रखा गया और बार-बार उसके साथ बलात्कार किया गया.
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उसे धमकी दी गई कि अगर उसने भागने की कोशिश की तो उसे मार देंगे.
बाद में मुन्ना उसे नोएडा में कुमार के फ्लैट में लेकर गया और वहां से वे उसे दिल्ली के शास्त्री पार्क में एक अन्य फ्लैट में लेकर गए. महिला ने पुलिस को यह भी बताया कि एक अप्रैल 2011 को जब कुमार को पता चला कि मुन्ना ने उसकी गैरमौजूदगी में उसके साथ बलात्कार किया है तो दोनों के बीच लड़ाई हुई और कुमार ने पुलिस को फोन कर दिया.