झांसीः नगर निगम चुनाव मे अचानक दिग्गजो के मैदान मे आने की खबर ने आम आदमी के दिमाग मे यह सवाल पैदा कर दिया है कि क्यो बड़े लोग मेयर जैसे पद के लिये आगे आ रहे हैं? सवाल यह है कि क्या महानगर का स्मार्ट सिटी मे शामिल होना सभी दावेदारो को लुभा रहा है?क्यांेकि मलाई यही बनेगी, जो विकास कार्य के नाम पर मथी जाएगी?
झांसी मे कांग्रेस, सपा, बसपा और भाजपा से मेयर पद के लिये अब तक जितने भी नाम सामने आ रहे थे, वो कल तक संघर्ष करते हुये अपना मुकाम बनाने वाले चेहरे थे।
इनमे प्रदीप सरावगी, संजीव ऋंगीऋषि, अमित साहू, नरेन्द्र झां, विजित कपूर, मन मोहन गेड़ा, राम कुमार अंक शास्त्री, रामतीर्थ सिंघल, हर भजन साहू, ओम प्रकाश अग्रवाल बाबा, राहुल रिछारिया, अरविंद वशिष्ट आदि नाम हैं।बीते कुछ दिनो मे निकाय चुनाव रोमांचक मोड़ पर आने लगा है।
अचानक दो दिग्गज मैदान मे आ गये। पूर्व विधायक बृजेन्द्र व्यास और पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य। इनके आने से लोगो मे उत्सुकता जाग्रत हो गयी कि बड़े चेहरे मेयर पद के लिये क्यो दावेदारी कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिये जब सड़क पर तर्कों को पढ़ना शुरू किया, तो कुछ अलग ही कहानी सामने आयी।
अधिकांश लोग यह तर्क देते नजर आये कि दावेदारे चाहे जो हो, सबकी निगाहंे महानगर के स्मार्ट सिटी बनने के बाद चौड़ी हो गयी है। स्मार्ट सिटी का मतलब है कि केन्द्र से मिलने वाले करीब 900 करोड़ रूपयो का विकास कार्यों मे खर्च होना।यानि ईमानदारी भी दिखायी, तो जब भरने में आसानी होगी?
इसके अलावा जीते के बाद लालबत्ती का सुख मिल जाएगा। गौरतलब है कि सांसद और विधायकों से लालबत्ती छीन ली गयी है, लेकिन महापौर आज भी लालबत्ती मे है।
दूसरा यह कि नगर का प्रथम नागरिक होना बड़ी बात होती है। राजनैतिक भविष्य की तलाश मे जुटे राजनैतिक दलो के दिग्गज यदि मैदान मे आने के बाद अपने लिये जीत हासिल करते हैं, तो यकीनन उनकी पांचो अंगुलियां घी मे होगी?