Headlines

अमिताभ-सचिन के पास बेशुमार जमीन, दूसरी तरफ हजारों भूमिहीन : राजगोपाल

संदीप पौराणिक

ग्वालियर, 11 नवंबर | भूमिहीनों और वंचितों की लंबे अरसे से लड़ाई लड़ते आ रहे एकता परिषद के संस्थापक पी.वी. राजगोपाल सरकार की नीतियों से बेहद दुखी हैं। उनका कहना है कि एक तरफ अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर जैसे लोगों के पास बेशुमार जमीन और कई-कई मकान हैं, दूसरी ओर वे लोग हैं जो एक इंच भूमि को तरस रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकारों ने भूमिहीनों और गरीबों की चिंता के नाम पर पेंशन और राशन कार्ड में उलझाए रखा है। अब तो सरकार पूंजीपतियों की हो गई है।

ग्वालियर में एकता परिषद के भूमि अधिकार सम्मेलन और जन संसद में हिस्सा लेने आए राजगोपाल ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि ‘सारी मुसीबत की जड़ देश में राष्ट्रीय स्तर पर जमीन का रिकार्ड उपलब्ध न होना है। कई जगह जमीन अतिरिक्त (सरप्लस) होने के कारण ही अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर की कई जगह जमीन हो गई, कई-कई आवास हो गए। आप सीलिंग के नियम का पालन नहीं करा सकते। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय स्तर पर जमीन का आंकड़ा तैयार कर सभी को जीने लायक जमीन दी जाए।’

उन्होंने आगे कहा, “यह कैसा न्याय है कि किसी की महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में जमीन और कई-कई मकान हैं, वहीं दूसरी ओर एक बड़ा वर्ग एक इंच जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार इस स्थिति पर सोचने-समझने को तैयार नहीं है, क्योंकि उसकी राजनीतिक नजरिया ही ऐसा नहीं है।”

राजगोपाल ने सरकार पर औद्योगिक घरानों का साथ देने का आरोप लगाते हुए कहा कि गरीबों से सुविधाएं छीनी जा रही हैं, अधिकार पर अंकुश लगाया जा रहा है, उन्हें सुविधाओं से वंचित कर यही कहा जा रहा है कि यह सब उद्योग घरानों और बड़े लोगों के लिए है। इससे लगता है कि अब सरकार का लोककल्याण कारी राज (वेलफेयर स्टेट) पर ज्यादा भरोसा नहीं रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार और समाज को मिलकर काम करना है, सरकार को यह अहंकार नहीं होना चाहिए कि हम सरकार हैं। हम जैसा चाहेंगे, वैसा करेंगे, समाज से सलाह नहीं लेंगे। जबकि वास्तविकता यह है कि समाज से सलाह लेने में कोई दिक्कत नहीं है। इंदिरा गांधी जाती थीं विनोवा भावे से सलाह लेने, वह जाती थीं जयप्रकाश नारायण के पास और मुख्य विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी से भी सलाह लेने में उन्होंने हिचक नहीं दिखाई।

राजगोपाल ने सरकार को सलाह दी कि ‘वह समाज के साथ संवाद करे, उनकी समस्या को जाने, ताकि लोगों को बार-बार अपनी समस्याओं के लिए आवाज न उठाना पड़े।

उन्होंने कहा, “मुझे कोई चुनाव नहीं लड़ना है, लोगों की समस्याओं के लिए आगे आना पड़ता है, लोग जमा होते हैं। सरकार इनकी समस्याएं हल कर दे, तो राजगोपाल गायब हो जाएगा, राजगोपाल को गायब करो ताकि तुममें ताकत आए।”

राजगोपाल ने वर्तमान और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की चर्चा करते हुए कहा, “वर्ष 2012 में जब हजारों लोगों ने ग्वालियर से दिल्ली कूच किया था, तब कांग्रेस की सरकार ही आगरा आ गई थी, क्योंकि तब मिली-जुली सरकार थी। मिली-जुली सरकार में हमेशा संवाद की जगह होती है। मगर अब ऐसा नहीं है, जो कहेगा वह प्रधानमंत्री ही कहेगा। इस समय केंद्रीकरण हो गया है।”

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘पहले लगता था कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कुछ कर नहीं पा रहे हैं, अब मैं ऐसा भरोसा करने लगा हूं कि वे कर नहीं पाएंगे, क्योंकि वर्ष 2012 में जब जयराम रमेश मंत्री थे, तो उनमें प्रधानमंत्री को लेकर कोई डर नहीं था। वह मनमोहन सिंह से बात करने की हिम्मत रखते थे। अब ऐसा नहीं है, किसी मंत्री में प्रधानमंत्री से बात करने की हिम्मत नहीं है, जो कहेगा और करेगा वह प्रधानमंत्री ही करेगा। इतना केंद्रीकरण अच्छा नहीं है।’

राजगोपाल का मानना है कि तोमर ग्रामीण विकास मंत्री हैं, देश का 65 प्रतिशत हिस्सा गांव में बसता है। उनकी जिम्मेदारी है कि समाज से संवाद कर उस इलाके के लिए काम करें। उनकी समस्या हल कर तस्वीर बदलें। वे लोगों को प्रोत्साहित करें कि आप काम करें, मैं आपके साथ हूं।

वे आगे कहते हैं कि इन गरीबों की समस्या छोटी-छोटी है, राशन चाहिए, पानी चाहिए, स्कूल भवन चाहिए, रोजगार चाहिए, जिन्हें आसानी से निपटाया जा सकता है। सरकार आगे तो बढ़े, हम लोग उनके साथ हैं।

राजगोपाल ने कहा कि दो दिन तक ग्वालियर में चले भूमि अधिकार आंदोलन और जन संसद में तय किया गया है कि अगले वर्ष गांधी जयंती पर दो अक्टूबर को फिर दिल्ली का रुख किया जाएगा। कई स्थानों पर रैलियां निकाली जाएंगी, राजघाट पर सत्याग्रह होगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *