झांसी-कौन से बोल डमडम को ले डूबे?

झांसीः धुआंधार प्रचार, जबरदस्त माउथ पब्लिसिटी। हर तरफ नीला परचम। लगा जैसे जीत गये डमडम? निकाय चुनाव की प्रक्रिया मे  पहले की राउंड मे  विरोधियो  को धूल चटाने की स्थिति मे  आ गये बसपा के मेयर प्रत्याशी आखिर हार क्यो  गये? ऐसे कौन से बोल थे, जिसने डमडम की जीत की बनावट का नक्शा ही बदल दिया?

दरअसल, राजनैतिक वापसी की जमीन तलाशने मे  सबसे बड़ी गलती कर रहे डमडम आज भी इससे दूर नहीं होना चाहते। उन्हे  झांसी का मोह ऐसा गले लग गया कि वो विधानसभा, लोकसभा, मेयर जैसे चुनाव मे  हर कीमत पर अपना दावा चाहते हैं।

बसपा मे  वापसी के लिये पहली बार ऐसा हुआ कि डमडम की शर्त मानी गयी। उन्हे  पार्टी ने ना केवल टिकट दिया, बल्कि लोकल संगठन को हिदायत भी दी गयी कि किसी प्रकार की गड़बड़ी ना करे।

बहनजी के आशीर्वाद और पार्टी पावर के बाद बेकाबू हुये डमडम ने चुनावी मैदान मे  आते ही विरोधियो  का धुआं उड़ाने मे  कोई कसर नहीं छोड़ी। जबरदस्त तरीके से अपनी टीम के बल  पर किये गये प्रचार ने उन्हे  शुरूआती दौर से ही दौड़ मे  नंबर वन रखा।

मतदान के कुछ दिन पहले तक जनता के दिल मे  उतरने को बेताब डमडम महाराज अपनी बेबाक अंदाज मे  कुछ ऐसे बोल बोल गये, जिसने उन्हे  अंदर ही अंदर कमजोर कर दिया।

ब्राहमण और मुस्लिम वर्ग मे  पैठ बनाने का गुमान पाल बैठे  डमडम ने नादानी भरे बोल बोले। अपनो  से बात करने मे  उन्हंे केवल तारीफ पसंद आयी। जिसने नहीं की, उससे साफ कह दिया कि हम तेल लगाने नहीं जाएंगे?

तेल लगाने वाले डायलाग ने कई लोगो  को आहत कर दिया। दिल से जुड़े लोग डमडम को पैसो के लिये दरवाजे आने वाले लगने लगे। कहते है कि कभी-कभी चीटीं भी हाथी को मात दे देती है। फिर अपनों को जब ठेस लगे, तो नतीजा सामने हैं।

डमडम से जुड़े अपने तेल लगाने वाले शब्द को दिल मे  लिये जहां भी गये, अपना दर्द बयां कर दिया। साहब क्या बताएं। अपनो का दर्द जब अपनों ने सुना, तो वह बोले क्या, समझो डमडम का दम ही निकाल दिया!

इसीलिये कहते है कि परिपक्व राजनेता अपने छोटे विरोधियो  को भी कमजोर नहीं मानते। यहां लगता है कि चार चुनाव लड़ने के बाद भी डमडम राजनैतिक परिपक्वता नहीं पा सके?

अब सवाल उठ रहा है कि डमडम का होगा क्या? क्या उन्हे  बसपा का लोकल संगठन आगे बढ़ने देगा? क्या स्थानीय पदाधिकारियो  से खींची गयी तलवारे वापस म्यान मे  जाएंगी? इससे बड़ा सवाल यह है कि क्या डमडम का यह झांसी से आखिरी चुनाव साबित होगा?

 

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