मीडिया ने ‘रावण’ को बना दिया बाबा : शंकराचार्य

खरगौन, 6 जनवरी)| मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुरा पीठ के शंकराचार्य दिव्यानंद तीर्थ ने यहां कहा कि हमारी परंपरा के किसी भी साधु और संत पर आज तक कोई आरोप नहीं लगा, जिन पर आरोप लगे हैं, उन्हें मीडिया ने ही बाबा और संत बनाया था। मीडिया ने जिन्हें बाबा और संत बनाया, वे तो वास्तव में ‘रावण’ हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता राय सिंह की नर्मदा परिक्रमा में हिस्सा लेने आए शंकराचार्य दिव्यानंद ने आईएएनएस से खास बातचीत में एक सवाल के जवाब में कहा , “गलत कामों में जो लोग फंस रहे हैं, उन्हें तो मीडिया ने बाबा और संत बना दिया है, अगर उनका भारतीय साधु परंपरा से कोई नाता रहा हो, तो बताएं।”

बाबा राम रहीम और आसाराम बापू के महिला यौन शोषण के आरोप में फंसने और जेल जाने के सवाल पर दिव्यानंद ने कहा कि ये लोग तो वास्तव में ‘रावण’ हैं। ये न तो बाबा हैं और न ही संत हैं, इन्हें तो मीडिया ने बाबा और संत बनाया है।

शंकराचार्य से जब पूछा गया कि ऐसे बाबाओं और संतों के आश्रम में राजनेताओं के जाने से जनता को लगने लगता है कि जब नेता उसके आश्रम में जाते हैं, तो कोई खासियत जरूर होगी। समय के साथ ऐसे आश्रमों में भीड़ बढ़ने लगती है। इस सवाल का जवाब देने से उन्होंने इनकार कर दिया।

दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा में शामिल होने की वजह का खुलासा करते हुए शंकराचार्य ने कहा, “उन्होंने 1992 में गंगोत्री से पदयात्रा निकाली थी, तभी से दिग्विजय सिंह से मेरे संबंध प्रगाढ़ हुए, मध्यप्रदेश से जब यह यात्रा निकली, तो तत्कालीन मंत्री सुभाष सोजतिया के साथ दिग्विजय सिंह का यात्रा में बड़ा सहयोग रहा था, किसी तरह की समस्या नहीं आई थी। दिग्विजय सिंह गंगोत्री पदयात्रा में दो बार स्वयं शामिल हुए थे, लिहाजा मैंने उनकी नर्मदा परिक्रमा में एक बार आने का वादा किया था, जिसे शुक्रवार को पूरा किया।”

उन्होंने कहा, “सोजतिया से किए वादे पर शुक्रवार को यहां परिक्रमा में शामिल हुआ, यह मेरा दिग्विजय सिंह को रिटर्न गिफ्ट है। पदयात्रा कोई आसान काम नहीं है, यात्रा शुरू करने के कुछ दिन बाद ही पैरांे में छाले पड़ने लगते हैं, उस स्थिति में आगे बढ़ाया गया पैर पीछे की तरफ आता है। मैंने भी पदयात्राएं की हैं, जिससे यात्रा की परेशानियों का मुझे पता है।

 

 

 

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