आखिर जिग्नेश को धर्म पर सफाई क्यो देना पड़ी?

नई दिल्ली 9 जनवरीः दिल्ली मे हुंकार रैली करने को अड़े विधायक जिग्नेश मेवाणी ने अपनी बातो के जरिये युवाओ  को यह संदेश देने की कोशिश की कि उन्हे राजनीति मे प्रयोग किया जा रहा है। धर्म की आड़ मे राजनीति का नया पैतरा आने वाले दिनो  मे खतरनाक होगा, इसलिये हम किसी धर्म के खिलाफ ना है और ना होगे। हम संविधान को मानते हैं।

देश की राजनीति मे नये सितारे की तरह उभर रहे हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद, शहला आदि युवा नेताओ की भीड़ मे प्रशान्त भूषण ने भी अपनी बात रखी।

रैली में जिग्नेश ने कहा कि हम किसी धर्म के खिलाफ न थे, न होंगे. हम सविंधान को मानते हैं, बाबा साहेब और फूले के विचारों को मानते हैं. आप हम पर हमले कीजिए, फिर भी हम संविधान की बात करेंगे. 2 करोड़ युवाओं की बात न रखने की अगर एक निर्वाचित नेता को भी अधिकार नहीं है तो यही गुजरात मॉडल है. पीएम मोदी को बताना चाहूंगा कि अब तो मैं गुजरात से ही विधायक हूं. आपको कई फाइले जलानी पड़ी, क्योंकि अब कई भ्रष्टाचार वाली फाइल हमारे पास आने वाली है. हम अब सवाल गुजरात की असेंबली में भी पूछेंगे और सड़कों पर रहकर भी पूछेंगे.

रैली में जिग्नेश ने कहा कि मैं पीएम से कहना चाहूंगा कि आपको जवाब देना होगा कि भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए गोगोई के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज हुआ, आपको रोहित वेमुला के बारे में जवाब देना होगा, आपको जवाब देना होगा कि भीम आर्मी को क्यों टारगेट किया जा रहा है. आप लव जिहाद की जितनी राजनीति करनी हो कर लो, हम प्यार की बात करेंगे. रैली में जिग्नेश ने कहा कि मैं पीएम से सवाल पूछूंगा कि आप क्या चुनेंगे, मनु स्मृति या संविधान?

जिग्नेश ने कहा कि वे लोग हम पर हमले कर रहे हैं क्योंकि मैंने, हार्दिक, और अल्पेश ने उन्हें गुजरात में 99 तक ला दिया. पीएम को बताना होगा कि अब तक 15 लाख रुपये अकाउंट में क्यों नहीं आए? युवाओं के पास रोजगार क्यों नहीं है? मंदसौर में किसान क्यों मारे गए?

जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि हम हिंसा नहीं चाहते, हम एक शांतिपूर्ण आंदोलन चाहते हैं. हिंसा उनका हथियार है, हमें किसी भी तरह से हिंसक नहीं होना है. हम किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. हम यहां समानता के लिए आए हैं. मैं बीजेपी से पूछना चाहता हूं कि वह रावण राज चाहती है या राम राज्य?

मेवाणी की रैली में प्रशांत भूषण ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने रैली रोक‍ने के लिए परमिशन नहीं दी. इसलिए भीड़ कम है, लेकिन एक नई शुरुआत है. देश में एक नई उम्मीद जगी है, एक झूठी राजनीति के खिलाफ एक ताकत खड़ी हो रही है. यह आगे कहां तक पहुंचेगी, यह देखना होगा. यह प्यार की राजनीति है, न कि बदले की राजनीति.

उमर खालिद ने रोहित वेमुला और चंद्रशेखर के बारे में बात करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वह झोला उठाएंगे और चले जाएंगे, लेकिन वह हमारे सवालों का जवाब दिए बिना नहीं जा सकते. अब कोई एकलव्य नहीं कि आप अंगूठा काट लेंगे. सच यह है कि चंद्रशेखर देश के लिए खतरा नहीं है, बल्क‍ि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा के लिए खतरा है.

 

 

 

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