माणिक सरकार नहीं, सादगी और ईमानदारी की हार।

माणिक सरकार नहीं, सादगी और ईमानदारी की हार।

त्रिपुरा के 9वें मुख्यमंत्री माणिक सरकार। एक आदर्श राजनीतिज, कुशल प्रशासक।।

कार्यालय ग्रहण :11 मार्च 1998

कार्यकाल : 20 वर्ष

चुनाव-क्षेत्र धनपुर

जन्म 22 जनवरी 1949 (आयु 69)
राधाकिशोरपुर, त्रिपुरा

राजनीतिक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)

जीवन संगनी: श्री मती पाँचाली भट्टाचार्य

निवास: अगरतला, त्रिपुरा

धर्म : नास्तिक

माणिक सरकार’ (जन्म 22 जनवरी 1949) वर्तमान में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं। मार्च 1998 से वे इस पद पर हैं। वे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) से संबद्ध हैं तथा पार्टी पोलितब्यूरो के सदस्य भी हैं। 2013 के विधानसभा चुनावों के बाद वे लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बने।

श्री सरकार अपना मुख्यमंत्री पद का वेतन व भत्ते पार्टी को दान देते हैं जो कि उन्हें5,000 (US$73)रुपये गुजारा भत्ता देती है।

आश्चर्य होता है कि वे भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों में सबसे कम धनी व्यक्ति हो सकते हैं।

लेकिन देश का सबसे गरीब मुख्यमंत्री आज हार गया। माणिक सरकार जैसे लोग भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं! इस अबूझ से सत्य को चमत्कार मानकर यक़ीन कर लिया।

मगर देश को कभी दूसरा माणिक सरकार मिलेगा क्या? ये यक़ीन से भी परे है। अपना घर नहीं । कोई कार नहींकर। एक भी अचल संपत्ति नहीं । उनकी अर्ध्दांगनी श्रीमती पांचाली भट्टाचार्या को साइकिल रिक्शा पर बैठकर बाज़ार जाते हुए देखना, त्रिपुरा के लोगों के लिए हमेशा एक आम सी बात रही।

ये उस दौर का सच है जहां एक अदने से अधिकारी की बीबी भी ब्यूटी पार्लर पहुंचकर सरकारी कार से तब उतरती है, जब अर्दली आगे बढ़कर गेट खोलता है। बड़े नेताओं और सरकारी एंबैसडर वाले अधिकारियों की बात ही क्या?

पत्नी छोड़कर ब्रान्डेड कपड़े , आधुनिक एक्सासरीज़ पहनना और सारी सुख सुविधाएं भोगने के साथ सादगी और ईमानदारी का ढ़िंढ़ोरा पीटना पिटवाना आसान है। गृहस्थ जीवन के साथ 20 साल शासन करने बाद सादा जीवन जीना और कथनी करनी एक रखकर ईमानदार रहना बहुत मुश्किल ही नहीं नामुमकिन। लेकिन इसी नामुमकिन को मुमकिन करने का नाम है माणिक सरकार। माणिक सरकार तुझे सलाम।

श्रीमती पांचाली भट्टाचार्य रिटायरमेंट तक सेंट्रल सोशल वेलफेयर बोर्ड में काम करती रहीं। जीवन में कभी भी किसी काम के लिए सरकारी गाड़ी का उपयोग नही किया। माणिक सरकार अपनी पूरी तनख्वाह पार्टी फंड में डोनेट करते आए। बदले में 9700 रुपए प्रति माह का स्टाइपेंड और पत्नी की तनख़्वाह से जीवन चलता रहा। 20 साल लगातार मुख्यमंत्री रहे इस शख़्स ने कभी भी इंकमटैक्स रिटर्न फाइल नहीँ किया। क्यों कि कभी इतनी आय ही नहीं हुई कि रिटर्न फाइल करने की नौबत आए। संपत्ति के उत्तराधिकार के तौर पर सिर्फ एक 432 स्क्वायर फीट का टिन शेड मिला, वो भी मां की ओर से। पिता अमूल्य सरकार पेशे से दर्ज़ी थे। मां अंजली सरकार सरकारी कर्मचारी थीं। ये 432 स्क्वायर फीट का टीन शेड उसी मां की कमाई का उपहार रहा अपने कामरेड बेटे की ख़ातिर।

माणिक सरकार ने त्रिपुरा के धानपुर से चुनाव लड़ते हुए इस बार जो एफिडेविट फाइल किया, उसे पढ़ते हुए राजनीति के अक्षर लड़खड़ाने लगते हैं। हाथों में नक़दी सिर्फ 1520 रुपए। बैंक के खाते में केवल 2410 रुपए। कोई इंवेस्टमेंट नही। मोबाइल फोन तक नही। न कोई ई-मेल एकाउंट न ही कोई सोशल मीडिया एकाउंट।

हद है बेशर्मी की, असम की भाजपा सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा कहते हैं कि त्रिपुरा की सत्ता से मुक्त होने जा रहे मुख्यमंत्री माणिक सरकार पश्चिम बंगाल, केरल या पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ले सकते हैं । “सूप तो सूप, छलनी बोले……”

चुनाव में हार जीत लगी रहती है। इस देश में मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बनते हैं और माणिक सरकार जैसे ईमानदार मुख्यमंत्री की सरकार चुनाव हारती है। क्या कहें इस देश के मतदाताओं को?

फिर भी यही क्या कम है कि आज के दौर में भी माणिक सरकार होते हैं और अपना चुनाव तो जीतते ही हैं। उनका होना ही हमारे समय में उम्मीदों के ज़िंदा होने की निशानी है।

एक साधारण राजनीतिज्ञ कार्यकर्ता होने के नाते सोचता हूं , हमें वर्तमान काल में अपने राजनीतिक जीवन को जीना चाहिए या सन्यास ले लेना चाहिए?

कामरेड माणिक सरकार को आज के रोज़ ज़ोरदार लाल सलाम – बार बार लाल सलाम। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ईमानदार राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं के आप हमेशा आदर्श रहेंगे।

एक बार फिर आपको लाल सलाम।

सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक
राष्ट्रीय कार्यसमीति सदस्य
स्टील मेटल एण्ड इंजिनियरिंग वर्कर्स फेडरेशन ओफ इंडिया
सम्बध्द- हिंद मज़दूर सभा एवं इण्ड्स्ट्रीआल ग्लोबल यूनियन, जनेवा।

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